Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 451
________________ ३९८ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) था कि हमसे यह नहीं हो सकेगा। हमारे कुल के अभिमान की वजह से इसकी रक्षा हो गई। ब्रह्मचर्य, वह तो सबसे ऊँची चीज़ है। उसके जैसी बड़ी चीज़ कोई है ही नहीं न! अब अनुपम पद छोड़कर उपमावाला पद कौन ले? ज्ञान है तो पूरे जगत् की जूठन कौन छूएगा? जगत् को जो प्रिय हैं ऐसे विषय, ज्ञानीपुरुष को जूठन लगते हैं। इस जगत् का न्याय कैसा है कि जिसे लक्ष्मी से संबंधित विचार नहीं आते, विषय से संबंधित विचार नहीं आते, जो देह से निरंतर अलग ही रहता हो, उसे जगत् भगवान कहे बगैर रहेगा नहीं!

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