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अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७)
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दादाश्री : वह डिस्चार्ज परिणाम है, लेकिन साथ में उस परिणाम को धोने के लिए कहा है? वह परिणाम तो आएँगे, कुदृष्टि तो होगी, लेकिन साथ में हमने धोने के लिए कहा है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन धोना कैसे है? प्रतिक्रमण करके धोना है न?
दादाश्री : कहा ही है, और उस तरह से सब कर ही रहे हैं। इन सभी लड़कों को सहज रूप से निरंतर तप होता ही रहेगा। ये सभी ब्रह्मचर्य व्रतवाले हैं। इन सभी को निरंतर ज्ञानदर्शन-चारित्र और तप रहता है, इनके कपड़े ऐसे दिखते हैं लेकिन अंदर तो ज्ञान-दर्शन-चारित्र और तप रहता है।
युवा लोगों को विषय के बारे में मेरे पास समझना पड़ेगा। उसका विवरण समझना पड़ेगा तो फिर उस पर आसानी से अभाव होने लगेगा, नहीं तो अभाव होगा ही नहीं न! उसका विवरण होना चाहिए, ज्ञानीपुरुष विवरण कर देते हैं। ज्ञानीपुरुष वह विवरण सभी को पब्लिक में नहीं बताते, दो-पाँच लोगों को रूबरू कह सकते हैं कि यह हकीकत क्या है। विषय बुद्धिपूर्वक का होता तब तो बहुत वैराग्य आ जाता। यह तो 'फूलिशनेस' है।
प्रश्नकर्ता : वहाँ पर जो राग होता है? वह क्या है?
दादाश्री : वह राग किस वजह से होता है? हकीकत में इसे समझा नहीं इसलिए। राग तो लोगों को ताश पर होता है, शराब पर होता है, लेकिन हकीकत जानते ही वह छूट जाता है। इसलिए हकीकत जाननी पड़ेगी कि यह अहितकारी है, यह चीज़ अच्छी नहीं है, वास्तव में इसमें सुख है ही नहीं, यह तो भास्यमान सुख है, तो छूट जाएगा। तुझे कभी दाद हुआ है? उस दाद को खुजलाने में और इसमें बिल्कुल भी अंतर नहीं है।
आप ऐसा कहो कि मुझसे मिठाई नहीं छूटती। तब मैं कहूँगा कि, कोई हर्ज नहीं, खाना क्योंकि वह जो खाता है, वह तो हकीकत