Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 405
________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) शादी करना तो जोखिम ही है न! लेकिन अंतिम जन्म में आखिरी दस-पंद्रह साल तक अलग रहना पड़ता है, जबकि ये लोग पहले से ही रह रहे हैं, इसमें क्या गलत कर रहे हैं ? पहले से अलग नहीं रह सकते, उनके लिए यह रास्ता है कि शादी करो। और क्या हो सकता है ? और ऐसा नियम है ही नहीं कि शादी करनेवाले का मोक्ष नहीं हो सकता और अपरिणीत का ही मोक्ष होगा। बल्कि चारित्रवाले का मोक्ष होता है। शादी करनेवाले को भी अंत में दस-पंद्रह साल छोड़ना पड़ेगा। सभी से मुक्त होना पड़ेगा । महावीर स्वामी भी आखिरी बयालीस साल तक मुक्त रहे थे न ! इस संसार में स्त्री के संग तो अनगिनत परेशानियाँ है। जोड़ी बनी कि परेशानियाँ बढ़ती हैं। दोनों के मन कैसे एक हो सकेंगे ? कितनी बार मन एक रहेंगे ? चलो, कढ़ी दोनों को एक सी पसंद आई, लेकिन फिर सब्ज़ी में क्या ? वहाँ पर मन एक हो नहीं पाता और दिन बदलता नहीं । जहाँ मतभेद हो, वहाँ सुख नहीं होता । ३५२ जिनके विषय छूट गए, उनके मज़े हैं ! उस आनंद को भी वैसे ही लूटना होता है न! वह भी ( अरे!) अपार आनंद !! वह आनंद तो, दुनिया ने चखा ही नहीं हो, वैसा आनंद उत्पन्न हो जाता है। पैंतीस साल का पीरियड निकाल देने के बाद अपार आनंद उत्पन्न होता है । जो विचारक हो, उसे तो विषय अच्छा ही नहीं लगेगा न ? इन ब्रह्मचारियों का उदय आया है, वही धन्यभाग्य है न ? सही तरीके से पार करना पड़ता है। पहले खुद पर श्रद्धा होनी चाहिए। बाकी विषय की ज़रूरत तो, जो सुखी हो उसे होती ही नहीं है। बहुत मानसिक मेहनतवाले को विषय की ज़रूरत है। जो बहुत मेहनत करते हों, उन्हें खूब जलन उत्पन्न होती है। वह सहन नहीं होती, इसलिए विषय में पड़ते हैं I मैं इन सभी लड़कों को समझाता हूँ कि शादी के बाद फँसाव होगा। फिर आजकल के लड़के ऐसे हैं कि बीवी के सामने

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