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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
उतर कैसे गया? कितने ही दिनों का जोश चढ़ा होगा! हम चाय पीने का सोचकर गए हों तो भी चाय का विचार एकदम बंद नहीं हो जाता जबकि वह तो कहने लगा, 'हमें ब्रह्मचर्य की विधि कर दीजिए।' दोनों खरे निकले। मैंने कहा, 'अब शादी नहीं करनी है? अरे, करो न! मुझे हर्ज नहीं है। मुझे क्या हर्ज हो सकता है?' तुम तो पहले मना कर रहे थे इसलिए तुम्हें सावधान किया कि, 'भाई, मना कर रहा था, अब फिर से व्यापार क्यों लगा रहा है?' लेकिन फिर भी हम एतराज़ नहीं उठाते। किसी की बेटी का भाग्य खिला हो बेचारी का, उसने पीपल पूजे हों। ऐसा पढ़ा-लिखा पति कहाँ से मिलेगा? कितने ही पीपल पूजे होंगे!
प्रश्नकर्ता : यहाँ पर तो छूटने का पूरा विज्ञान सीखना है और बाद में फिर से उस फँसाव में तो जाएँगे ही नहीं न! यहाँ पर तो ब्रह्मचर्य का पूरा परिचय प्राप्त करके, विषय से हमेशा के लिए मुक्ति मिले, ऐसी आराधना करनी हैं।
दादाश्री : लोग यह सब समझ गए हैं। बहत पक्के हो गए हैं, हं! मैं तो सिक्के को जाँचकर देख लेता हूँ, कच्चे हैं या नहीं? नहीं निकलते कच्चे। यह भी कच्चा नहीं पड़ता। 'कच्चा है', ऐसा पता चले तो तुरंत यहाँ किसी जैन की बेटी हो तो शादी करवा देंगे।
प्रश्नकर्ता : यहाँ तो विषय का तो है ही, उस ओर तो जाने जैसा है ही नहीं। लेकिन मोक्षमार्ग में बाधक अन्य कोई दोष हुए हों, गलती से भी उन दोषों में स्लिप न हो जाएँ, ऐसा सब मज़बूत कर लेना है।
दादाश्री : वहाँ पर तो दोष चलेंगे ही नहीं न! अंधेर राज थोड़े ही है? आप जैसे बड़ी उम्रवालों की सेफ साइड हो गई क्योंकि आपको परेशान करनेवाला कोई रहा नहीं न! इन्हें तो अभी कितने ही जोखिम आएँगे।