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अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७)
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प्रश्नकर्ता : वह तो पता नहीं है, लेकिन इसमें रहना है। इस ज्ञान में, आज्ञा में, इस साइन्स में ही रहने जैसा है।
दादाश्री : तो रह पाओगे। प्रश्नकर्ता : वे कैसे-कैसे जोखिम आते हैं?
दादाश्री : उनका दस मील का रास्ता बाकी रहा। आपके सात सौ मील बाकी है। कितने ठग मिलेंगे, कितने फँसानेवाले मिलेंगे!
प्रश्नकर्ता : तो उसमें सेफसाइड का रास्ता कैसे निकालें? क्या उसमें जोखिम सामने आते हैं?
दादाश्री : वह तो अगर इस सत्संग में पड़ा रहेगा तो चलेगा, कुसंग में नहीं जाए तो चलेगा।
प्रश्नकर्ता : एक ही उपाय है।
दादाश्री : यही बातें मिलती रहें, जहाँ जाओ वहाँ। कुसंग की बात ही नहीं आए तो तुरंत छुटकारा हो जाएगा।
प्रश्नकर्ता : यही सबसे बड़ा उपाय है। सत्संग का ही अनुसंधान, पूरी तरह से!
__दादाश्री : सत्संग के संसर्ग में रहना पड़ेगा! झुंड में हों तब, वहाँ पर छूटना हो फिर भी नहीं छूट पाएँगे।
व्रत की विधि से, टूटते हैं अंतराय इस लड़के को ब्रह्मचर्य के भाव हैं। यह भाव तो गलत नहीं है न? ऐसे भाववाले को हमें क्या करना चाहिए? हमें उन्हें आधार देना चाहिए या आधार ले लेना चाहिए?
प्रश्नकर्ता : आधार देना चाहिए। दादाश्री : कोई ऐसे भाव कर रहा हो, फिर भले ही