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अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं - 2 - १७)
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सभी बहुत अच्छा कर रहे हैं । आज्ञा का जितना पालन किया, उतना तो मन बिगड़ना रुक गया ! यह ज्ञान ऐसा है कि इससे सूक्ष्म ब्रह्मचर्य का पालन किया जा सकता है क्योंकि मन सुख खोजता है न? यह ज्ञान सुखवाला है, इसलिए ये सब लड़के मज़े करते हैं न? इन्हें क्या होता है कि जवानी है और भोजन खाते हैं, उस भोजन का असर होता है या नहीं ? जिसने शादी की हो और उसे 'इफेक्ट' हो तो उसमें हर्ज नहीं है। लेकिन जिसने शादी नहीं की है उसका क्या होगा ? इसलिए ये लोग डरते-डरते खाते हैं। क्या कहते हैं कि हमें 'डिस्चार्ज ' हो जाता है। अरे, भले ही 'डिस्चार्ज ' हो जाए । यह तो अंदर असर हो जाता है कि डिस्चार्ज हो गया लेकिन तूने नहीं किया न ? खुद को नहीं करना चाहिए। इसलिए मैंने कहा वह बुद्धिपूर्वक नहीं है इसलिए हर्ज नहीं है। बुद्धिपूर्वक हो तो हर्ज है।
प्रश्नकर्ता : बुद्धिपूर्वक यानी कैसा ?
दादाश्री : बुद्धिपूर्वक का मतलब खुद इच्छापूर्वक करे, वैसा । जबकि यह तो रात में सपने में हो जाता है । ' उसके लिए तुम गुनहगार हो ही नहीं,' ऐसा उन्हें कह दिया वर्ना परेशान होते रहेंगे, बिना वजह। तेरी इच्छा नहीं है न ? वैसा नहीं करना चाहिए। अब अगर वह हो जाता है, तो उसमें हर्ज नहीं । तेरा बुद्धिपूर्वक नहीं है न? तब कहते हैं 'नहीं'। और सपना, वह तो दुनिया ही अलग है। वह बात अलग ही दुनिया की है।
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सपने के भोग का पूर्वापर संबंध ?
प्रश्नकर्ता : नींद में जो अटपटे भोग भासित होते हैं, उनमें कुछ सत्यता है ?
दादाश्री : है न! पिछले जन्म में भोगा था, उसके संस्कार दिखाई देते हैं अभी। पिछले जन्म में, अनंत जन्म में जो भोग भोगे हों न, वे सभी संस्कार आज सपने में दिखाई देते हैं।