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फिसलनेवालों को उठाकर दौड़ाते हैं (खं-2-१६)
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जेल में बैठकर पैसा कमाना। तो अब तुझे क्या करना चाहिए? व्यापार शुरू होने के बाद तुझे एक मिनट का भी टाइम नहीं मिलेगा।
प्रश्नकर्ता : पहले काम निकाल लेना चाहिए।
दादाश्री : हाँ, पहले काम निकाल लेना चाहिए, इसलिए यह याद रखना। इसलिए तुझे यह सार निकालकर दिया है। बाद में हम बार-बार कहने नहीं आएँगे। हम तो पूरी तरह से समझा देते हैं ताकि तुम्हारा अहित न हो। यह तो आज मिला और इच्छा भी है, ऐसा हम जानते हैं, लेकिन मोह का मारा वह निश्चय हो ही नहीं पाता न? निश्चय टिकता नहीं है। हमने एक-एक ऐसे निश्चय देखे हैं कि परसेन्ट टु परसेन्ट करेक्ट। जब देखो तब करेक्ट। अतः जितना हो सके उतना कर लेना चाहिए! तुझे पता है न, यह ऑफिस का काम ऐसा है ?
प्रश्नकर्ता : काम के बारे में ऐसा कुछ बहुत बड़ा नहीं सोचा है।
दादाश्री : लेकिन वह तो हो ही जाएगा और बड़े ऑफिसों में बड़ा कामकाज नहीं करें तो खर्चा भी नहीं निकलेगा। नौकरी करेगा तो ठीक है, तो भी तुझे कुछ खाली समय मिलेगा। कई तो ऐसे पुण्यशाली होते हैं कि व्यापार से संबंधित कोई बोदरेशन ही नहीं। अरे! पूरे दिन व्यापार अपने आप ही चलता रहता है, उसे पुण्य कहते हैं। अब तेरा सबकुछ ठीक हो जाएगा न?
प्रश्नकर्ता : हाँ।
दादाश्री : बहुत सीढ़ियाँ लुढ़क जाए तो फिर कौन पकड़कर रखेगा? पहले तो एक सीढ़ी गिरता है, फिर दो हो जाते हैं, चार हो जाते हैं, बारह हो जाते हैं, ऐसे बढ़ते जाते हैं! अब यह गाड़ी कहाँ रुकेगी? फिर उसे कौन खड़ा रखेगा और कौन पकड़ेगा? इतनी ऊँचाई पर था, ऊँची दशा में था तब सीधा नहीं रहा, तो अब गिरने के बाद क्या रहेगा? फिसला वह फिसला! अंदर भरपूर