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ब्रह्मचर्य प्राप्त करवाए ब्रह्मांड का आनंद (खं-2-१४)
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कितने पुण्यशाली हैं! इन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत की आज्ञा ली थी, सो उन्हें आनंद भी कैसा रहता है!
प्रश्नकर्ता : ऐसा आनंद तो मैंने कभी भी देखा ही नहीं था। निरंतर आनंद रहता है!
दादाश्री : अभी इस काल में लोगों का चारित्र खत्म हो गया है। कहीं भी अच्छे संस्कार रहे ही नहीं हैं न! यह तो, यहाँ आ गए और यह ज्ञान मिल गया, इसलिए ठीक हो गया है। ये तो कितने पुण्यशाली हैं, वर्ना कहीं के कहीं भटक गए होते। यदि इंसान का चारित्र बिगड़ जाए तो लाइफ यूज़लेस हो जाती है। दुःखी-दुःखी हो जाता है! वरीज़, वरीज़, वरीज़! रात को नींद में भी वरीज़! इन्हें तो बहुत आनंद रहता है।
प्रश्नकर्ता : हाँ, पहले तो जीवन जीने योग्य ही नहीं था।
दादाश्री : ऐसा?! अब जीने जैसा लगता है?! घर में सभी की इच्छा हो कि बेटा दीक्षा ले, तो उसके 'व्यवस्थित' में वैसा है, ऐसा समझ सकते हैं। वही सबूत है। उसमें हम हस्तक्षेप नहीं करते। फिर अगर 'व्यवस्थित' में होगा तभी घर के सभी लोगों को इच्छा होगी। किसी का भी विरोध आया तो 'व्यवस्थित' बदला हुआ लगता है। क्योंकि 'व्यवस्थित' यानी क्या? किसी की तरफ से भी विरोध नहीं। सभी सिर्फ हरी झंडी ही बताएँ तो समझना कि 'व्यवस्थित' है।
ब्रह्मचर्य की आज्ञा मिलने के बाद यदि कोई (विषय के) बम फेंकने आए, तो हमें सावधान हो जाना चाहिए। यह आज्ञा मिली है, यह तो बहुत ही बड़ी चीज़ है! इस आज्ञा के पीछे दादा की खूब सारी शक्ति खर्च होती है। यदि आपका निश्चय नहीं छूटे तो दादा की शक्ति आपको हेल्प करेगी और आपका निश्चय छूट गया, तो दादा की शक्ति खिसक जाएगी। ब्रह्मचर्य तो बहुत बड़ा खज़ाना है! लोग तो लूट जाते हैं। छोटे बच्चे को बेर देकर