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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
दादाश्री : मतलब क्या है कि किसी स्त्री ने या पुरुष ने भले ही कैसे भी कपड़े पहने हों, पर वे कपड़े रहित दिखते हैं, वह ज्ञान से पहला दर्शन है। दूसरा, सेकन्ड दर्शन यानी शरीर पर से चमड़ी निकल जाए, वैसा दिखता है और थर्ड दर्शन यानी अंदर का सभी कुछ दिखाए ऐसा दिखाई देता है । फिर आकर्षण रहेगा क्या ? ऐसा तुझे रहता है ?
प्रश्नकर्ता : ऐसा अभ्यास दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। दादाश्री : तो अच्छा है। ऐसा अभ्यास करना अच्छा है। दृष्टि निर्मल कर सकते हैं ऐसे
कोई स्त्री खड़ी हुई हो, उसे देखा लेकिन तुरंत नज़र वापस खींच ली। फिर भी वह दृष्टि तो वापस वहीं के वहीं जाती है, इस तरह दृष्टि वहीं आकृष्ट होती रहे तो वह 'फाइल' कहलाती है। यानी इतनी ही गलती इस काल में समझनी है। पिछली जो फाइल खड़ी हुई हो, भले ही छोटी सी भी, लेकिन 'फाइल' कि जो हमें आकर्षित करे ऐसी हो, ऐसा हमें पता चले कि यह ' फाइल' है तो वहाँ पर सावधान रहना है। अब सावधान रहने के अलावा और क्या करना है ? जिसे शुद्धात्मा देखना आ गया है, उसे उसके शुद्धात्मा देखते रहना है। उससे वह पूरी तरह से चला जाएगा। प्रश्नकर्ता : साथ-साथ प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान भी करना है न?
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दादाश्री : हाँ, वह तो करना ही पड़ेगा न !
प्रश्नकर्ता : आकर्षण की फाइल कहीं 'कन्टिन्युअस' नहीं रहती। लेकिन जब यह आकर्षण उत्पन्न होता है, जैसे यहाँ पर लोहचुंबक रखा हो और पिन का यहाँ से गुजरना और खिंच जाना, लेकिन तुरंत पता चल जाता है कि खिंच गया, तो फिर तुरंत ही वापस खींच लेना चाहिए ।