________________
'विषय' के सामने विज्ञान से जागृति (खं-2-१५)
३२९
और कहीं पर तो नहीं कर सकते न! यह तो विज्ञान है इसलिए विवेचन कर सकते हैं। यह रोग कोई निकालता ही नहीं है न! यह रोग कैसे निकले? इसका इलाज अपने यहाँ होता है। यहाँ पर स्त्रियाँ बैठी हों, फिर भी अपने यहाँ दिक्कत नहीं आती। और कहीं पर तो ऐसी बात होती ही नहीं न!
जागृति मंद हुई कि विषय घुस जाता है। जागृति मंद हुई कि फिर उसे धक्का लगता है। विषय एक ऐसी खराब चीज़ है कि उसमें एक बार फिसल जाए तो फिर जागृति पर गाढ़ आवरण
आ जाता है। उसके बाद अगर जागृति रखनी हो, फिर भी नहीं रह पाती। जब तक एक भी बार गिरा नहीं है, तब तक जागृति रहती है। शायद आवरण आ जाए, लेकिन जागृति तुरंत ही आ जाती है। लेकिन एक ही बार फिसला तो ज़बरदस्त गाढ़ आवरण आ जाता है, फिर सूर्य-चंद्र नहीं दिखते। एक ही बार फिसले तो भी बहुत नुकसान है।
प्रश्नकर्ता : जागृति मंद यानी एक्चुअली कैसे होता है?
दादाश्री : एक बार आवरण आ जाता है उसे। उस शक्ति को संभालनेवाली जो शक्ति है न, उस शक्ति पर आवरण आ जाता है, उसका काम करना मंद हो जाता है। फिर उस समय जागृति मंद हो जाती है। उस शक्ति के मंद होने के बाद कुछ नहीं हो सकता, कुछ नहीं होता। बाद में वापस मार खाता है, फिर मार खाता ही रहता है। फिर मन, वृत्तियाँ, वगैरह सब उसे उल्टा ही समझाते हैं कि, 'हमें तो अब कोई हर्ज नहीं। इतना सब तो है न?' फिर ऐसा समझानेवाले वकील अंदर होते हैं, उस वकील का जजमेन्ट वापस शुरू हो जाता है। फिर कहेगा कि परहेज करो, मुक्त थे उससे फिर हुए परहेज़। ऐसा हो, उससे तो शादी करना अच्छा, वर्ना ऐसा होना ही नहीं चाहिए।
प्रश्नकर्ता : उस शक्ति की रक्षा करनेवाली शक्ति यानी क्या?