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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
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इंसान में वीर्य शक्ति अधिक होती है और मोटे में कम होती है दुबले में अधिक होती है। दुबला अधिक कामी होता है, मोटा कम कामी होता है। क्योंकि इसका खाया हुआ, सारा मांस बन जाता है, और इसका खाया हुआ सारा वीर्य बन जाता है।
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प्रश्नकर्ता : जो इंसान मोटा होता है, उसमें चरबी का भाग मांस से भी ज़्यादा होता है ।
दादाश्री : हाँ, उसका खाया हुआ सारा चरबी और मांस बन जाता है। इसका खाया हुआ सारा हड्डी बन जाता है। मोटे इंसान को कितना खून चाहिए ? जबकि उसे तो, दुबले को तो खून ही नहीं चाहिए न । उसके सभी कारखाने चलते रहते हैं, इसलिए फिर बचा-खुचा वीर्य बन जाता है। कुछ समझ में आ रहा है ? मोटे इंसान में विषय बहुत कम होता है। उसमें स्ट्रेन्थ (शक्ति) भी कम होती है।
प्रश्नकर्ता : एक बार ऐसा सुना था कि पुद्गल का फोर्स बढ़ जाए, पुद्गल की शक्ति बढ़ जाए तो विषय में खिंच जाता है, यह सच है ?
दादाश्री : शरीर का ठिकाना नहीं हो और ठूंस-ठूंसकर खाना खाता हो तो वह ब्रह्मचर्य नहीं टिकता, अब्रह्मचर्य हो जाता है। यदि शरीर मज़बूत हो, लेकिन आहार कम लेता हो तो वह ब्रह्मचर्य संभाल सकता है। बाकी जिसे थ्री विज़न से वैराग आ जाता है, उसे तो अब्रह्मचर्य हो ही नहीं सकता । इस गटर को एक बार खोलकर देख लिया हो तो दोबारा खोलेगा ही नहीं न ! खोलने की इच्छा ही नहीं होगी न ? उसकी तो उस तरफ नज़र ही नहीं जाएगी। ब्रह्मचर्य तो कैसा होता है ? हज़ार स्त्रियों के बीच भी मन न बिगड़े, उसे विचार तक नहीं आए। मन बिगड़ा तो सबकुछ बिगड़ गया क्योंकि वह चार्ज स्वरूप है इसलिए तुरंत चार्ज हो जाता है और चार्ज हुआ तो डिस्चार्ज होगा ही !