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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
उससे अलग हो। ऐसा अभिप्राय ज़ाहिर करते हैं कि हमें इससे लेना देना नहीं है।
प्रश्नकर्ता : वीर्य के ऊर्ध्वगमन का डिस्चार्ज के साथ कुछ रिलेशन है क्या?
दादाश्री : डिस्चार्ज हुआ मतलब ऊर्ध्वगमन से अधोगमन हो
गया।
प्रश्नकर्ता : इसका मतलब अगर वीर्य का ऊर्ध्वगमन हो जाए तो डिस्चार्ज बंद हो जाएगा न धीरे धीरे!
दादाश्री : नहीं। ऐसा कोई नियम नहीं है। डिस्चार्ज भी होता है, डिस्चार्ज की तो, उसकी जोखिमदारी नहीं मानी जाती। जान-बूझकर डिस्चार्ज हो, तब फिर जोखिम है। अभी तो भीतर सिर्फ आहार का दबाव आए या दूसरा कोई दबाव आए, तब भी हो जाता है। जान-बूझकर नहीं होना चाहिए।
हो सके, तब तक डिस्चार्ज नहीं हो, ऐसी सावधानी रखनी है। विषय का विचार भी नहीं आना चाहिए और आए तो फेंक देना है, अंकुर फूटते ही फेंक देना चाहिए। तब जो वीर्य है, जो कि पुद्गल का एक्स्ट्रैक्ट है, वह ऊपर चढ़ता है। वह ऊर्ध्वरेता होता है। फिर वाणी वगैरह सब क्लियर रहती है। जागृति बहुत अच्छी रहती है। तुझसे रहा जा सकेगा न, मैं जो कह रहा हूँ, वैसा?
भरा हुआ माल है, वह तो निकले बिना रहेगा ही नहीं। विचार आया उसे पोषण दिया, तो वीर्य मृत हो जाता है। फिर किसी भी रास्ते डिस्चार्ज हो जाता है और यदि अंदर टिक गया, विषय का विचार ही नहीं आया तो ऊर्ध्वगामी हो जाएगा। वाणी वगैरह सभी में मज़बूत होकर आएगा। वर्ना विषय को तो हमने संडास कहा हुआ ही है। सबकुछ जो खड़ा होता है, वह संडास बनने के लिए ही होता है। जो ब्रह्मचर्य पालन करता है, उसमें