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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
इस ब्रह्मचर्य की भावना की वजह से अच्छे नहीं लगते तो उसका कोई उपाय है?
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दादाश्री : सपने, वह तो अलग चीज़ है। आपको अच्छे लगें तो नुकसान करेंगे और अच्छे नहीं लगें तो कोई नुकसान नहीं करेंगे। भले ही वे कैसे भी आए, अच्छे लगें तो आपको वैसा होगा और अच्छे नहीं लगें तो कोई झंझट ही नहीं ।
प्रश्नकर्ता : स्वप्नदोष क्यों होते होंगे ?
दादाश्री : ऊपर पानी की टंकी हो, वह पानी नीचे गिरने लगे तो नहीं समझ जाते कि छलककर उभर गई है ! स्वप्नदोष मतलब उभरना। टंकी छलककर उभर रही हो तो कॉक नहीं रखना चाहिए ?
यदि आहार पर कंट्रोल करे तो स्वप्नदोष नहीं होगा। इसलिए ये महाराज एक ही बार आहार करते हैं न, वहाँ ! और कुछ भी नहीं लेते, चाय-वाय कुछ भी नहीं लेते।
प्रश्नकर्ता : उसमें रात का आहार महत्वपूर्ण है। रात का कम कर देना चाहिए ।
दादाश्री : रात को खाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। महाराज, एक ही बार आहार लेते हैं। लेकिन चार रोटी खा जाते हैं, उनकी उम्र तो है न। बाकी चाय नहीं, और कोई झंझट ही नहीं। पूरे दिन के लिए टंकी भर ली। टंकी भर ली तो वह पेट्रोल चलता रहता है।
अतः डिस्चार्ज तो, यह खाना यदि कंट्रोल में हो तो और कुछ भी नहीं होगा । ये तो भर-भरके खाते हैं । जो हो वह और कोई विचित्र आहार हो, तब क्या होगा ? जैन तो कैसे समझदार ! ऐसा आहार नहीं। ऐसा वैसा कुछ नहीं होता । फिर भी डिस्चार्ज हो जाए तो, उसमें हर्ज नहीं है। भगवान ने कहा है 'उसमें तो हर्ज नहीं।' वह जब भर जाए तो फिर ढक्कन खुल जाता है। जब तक ब्रह्मचर्य ऊर्ध्वगमन नहीं हुआ है, तब तक अधोगमन ही