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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
आया कि रमणता में पड़ा नीचे, स्लिप हुआ कहलाएगा। रमणता से ही ये सारे दोष खड़े हुए है न! इसलिए उल्टे होकर फिर उसमें भोग लेते हैं, वह मैं देखता हूँ न !
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दृष्टि बदलने के बाद रमणता शुरू होती है। दृष्टि बदले तो उसका भी कारण है। उसके पीछे पिछले जन्म के कॉज़ेज़ हैं। इसलिए हर किसी को देखकर दृष्टि नहीं बदलती। कुछ खास लोगों को देखे, तभी दृष्टि बदलती है। कॉज़ेज़ हों, उसका पहले का हिसाब चल रहा हो और बाद में रमणता हो जाए तो समझना कि बहुत बड़ा हिसाब है। अतः वहाँ पर अधिक जागृति रखना। उसके सामने प्रतिक्रमण के तीर चलाते रहना । आलोचना-प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान, ज़बरदस्त रहने चाहिए ।
नियम आकर्षण विकर्षण के
स्पर्श हो जाए या ऐसा वैसा कुछ हो जाए तो आकर मुझे बता देना तो मैं तुरंत साफ कर दूँगा ।
प्रश्नकर्ता : नहीं। वह कभी भी, कहीं भी नहीं ।
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दादाश्री : लेकिन गलती से ऐसा हो जाए तो आकर तुरंत मुझे बता देना क्योंकि एक ही टच से अंदर इलेक्ट्रिसिटी का जो अट्रैक्शन होता है, वह इलेक्ट्रिसिटी फिर हमें निकालनी पड़ेगी।
प्रश्नकर्ता : मैं कितने सालों से मार्क कर रहा हूँ कि मैं बैठा होऊँ तो मेरे नज़दीक कोई स्त्री आती ही नहीं है। मुझसे यों दूर ही रहती है !
दादाश्री : बहुत अच्छा। इतना अच्छा है। बड़ा पुण्य लेकर आए हो।
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प्रश्नकर्ता मैं किसी भी स्त्री के साथ बात करता हूँ, जान-पहचानवाली हो या कोई और हो, लेकिन उसके सामने कभी भी यों नज़र मिलाकर बात नहीं करता।