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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
दादाश्री : हाँ। सब करती है, इसलिए सावधान रहना है। अब बिवेयर बोर्ड लगाना, चोर जेब में से लूट ले जाए, उसमें हर्ज नहीं है। वह सब तो फिर से आ जाएगा लेकिन ऐसे लुट गया! एक दिन का क्या फल मिलता है, अगर सचमुच लुट जाए तब? एक दिन में ऐसे लुट जाए तो क्या फल मिलेगा?
प्रश्नकर्ता : पाशवता कहलाएगी, अधोगति।
दादाश्री : हँ। बिवेयर लिखकर रखना, हर कहीं। बाकी कही पूरी दुनिया के साथ नहीं संभालना है। जहाँ आकर्षण हो रहा हो वहीं ध्यान रखना है। खींचनेवाला कौन? बहुत हुआ तो पाँच, दस या पंद्रह होते हैं। ज़्यादा नहीं होते, उतना ही ध्यान रखना है। औरों की तो गोदी में बैठेंगे फिर भी आकर्षण नहीं होगा। इतनी सेफ साइडवाला जगत् है यह। तुम्हारे पाँच, दस या पंद्रह होंगी, बहुत छैल छबीला होगा तो उसकी पचास होंगी।
सामने ‘फाइल' आए, तब... प्रश्नकर्ता : कभी-कभी यह समझ नहीं रह पाती।
दादाश्री : अपना फोर्स टूट जाएगा तो वह समझ चली जाएगी। अपना निश्चय टूट जाएगा तो समझ चली जाएगी। अपने निश्चय से ही रह पाएगी। वर्ना पुद्गल ऐसा नहीं है बेचारा। पुद्गल को अच्छाबुरा नहीं लगता। वह तो अगर 'बहुत अच्छी चीज़, अच्छी चीज़, अच्छी चीज़ है', ऐसा करे तभी वह धक्का मारेगा। 'खराब है, खराब है', ऐसा करें तो फिर वह टूट जाएगा। जहाँ मन खिंच रहा हो, वह फाइल आए, उस समय मन चंचल ही रहता है।
उस समय मन चंचल हो जाता है और मुझे अंदर बहुत दुःख होता है कि इसका मन चंचल हो गया था इसलिए मेरी नज़र सख्त हो जाती है।
फाइल आए, उस समय अंदर हिलाकर रख देती है। ऊपर