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स्पर्श सुख की भ्रामक मान्यता (खं-2-८)
थप्पड़ मार देता है?! तब क्या करता है ? 'क्या समझता है ?' कहकर एक लगा देना।
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विषय रमणता की हो तो प्रतिक्रमण करके उसे धो देना बाद में दांत-वांत तोड़ दें तो क्या दिखेगा, ऐसा सब देखना चाहिए । थ्री विजन तो कहलाएगा न ।
प्रश्नकर्ता लेकिन थ्री विजन देखने के बावजूद भी वह बार-बार याद आता है।
दादाश्री : यह याद, वह तो मन का काम है, तेरा क्या जाता है? तुझे ‘देखते' ही रहना है।
प्रश्नकर्ता : तो इस पर से ऐसा लगता है कि अभी तक वह टूटा नहीं है।
दादाश्री : टूटेगा कैसे लेकिन ? वह तो उसका सारा ज़ोर निकल जाएगा, तब अलग होगा । तब तक जितना ज़ोर भरा हुआ है, उसे हमें देखते ही रहना है।
प्रश्नकर्ता : लंबे समय तक विचार आएँ तो उनमें तन्मयाकार हो जाते हैं।
दादाश्री : विचार तो आएँगे, वह तो, जितना लंबा है उतने विचार आते ही रहेंगे। उनका हिसाब खत्म हो जाएगा तो मन बंद हो जाएगा, वह फिर दूसरा पकड़ लेगा ।
प्रश्नकर्ता : लेकिन वह हिसाब कब पूरा होगा ?
दादाश्री : अभी तो बहुत सारा है । बेहिसाब । अभी तो कोई हिसाब ही नहीं है। अभी तो इस पहाड़ का पहला पत्थर हटा है। लेकिन जो यहाँ से तुरंत काट दे, उसके लिए फिर कुछ खास नहीं रहेगा। दिखाई दे, तभी से प्रतिक्रमण करे और फिर किसी रमणता में नहीं पड़े, रात को, कहीं भी । ज़रा सा भी उसका विचार