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स्पर्श सुख की भ्रामक मान्यता (खं-2-८)
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सामने शर्त रखी, 'एक आधा घंटा बैठने आऊँगा तो आप निभा लोगे?' मैंने कहा, 'हाँ, निभा लूँगा।' बाहर मेरे साथ घूमने से लोगों में रौब बढ़ता था। फिर मेरे साथ बैठता था। यों उसकी बुद्धि अच्छी थी। मैंने उस भाई से पूछा, 'ये सभी पुरुष नेकेड जा रहे हों तो आपको उन्हें देखना अच्छा लगेगा?' तब वे बोले, 'नहीं लगेगा। मैं तो मुँह फेर लूँगा।' अरे, पुरुष नेकेड जा रहे हों तो क्या तू नेकेड नहीं है? यह तो ढका हुआ है इसलिए सुंदर है! उसके बाद उसे पूछा, 'यदि स्त्री और पुरुष नेकेड जा रहे हो तो उनमें से किसे देखना पसंद करोगे? तब उन्होंने कहा, 'पुरुष को देख सकते हैं लेकिन स्त्री को देखना अच्छा नहीं लगेगा। उल्टी हो जाएगी' इस प्रकार मैं उस बनिए की बुद्धि देख रहा था। उस भाई ने कहा कि, 'मेरी वाइफ नहा रही थी, तब उसे देख लिया था। तब से मुझे अंदर घिन आती है।'
रोंग बिलीफें, रूट कॉज़ में अंधेरे में जाकर ऐसा करते हैं कि पाँचों इन्द्रियों को अच्छा नहीं लगे। बच्चे देखें तो शर्मा जाएँ। कोई विषय विकार कर रहा हो, और उसकी फोटो लें तो कैसा दिखेगा?
प्रश्नकर्ता : घिन आए ऐसा दिखेगा, जानवर जैसा दिखेगा।
दादाश्री : जानवर ही कहलाएगा। पूरी तरह से पाशवी इच्छा कहलाएगी।
प्रश्नकर्ता : स्त्री के अंगों के प्रति आकर्षण होने का क्या कारण है?
दादाश्री : मान्यता अपनी, रोंग बिलीफें हैं इसलिए। गाय के अंगों के प्रति आकर्षण क्यों नहीं होता?! सिर्फ मान्यताएँ। कुछ नहीं होता। सिर्फ बिलीफें हैं, बिलीफें तोड़ दो तो कुछ भी नहीं है।
प्रश्नकर्ता : वह जो मान्याता खड़ी होती है, ऐसा संयोग मिलने की वजह से होता है?