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समझ प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
ज़रा सा भी कच्चा पड़ जाए न, तो वहाँ पर ब्रह्मचर्य खत्म हो जाएगा। स्ट्रोंग निश्चय यदि कभी थोड़ा सा, ज़रा सा एक बार भी टूटा, निश्चय सेट नहीं किया और अगर टूट गया तो फिर इस ओर मुड़ जाएगा ! फिर खत्म हो जाएगा।
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मन इस तरफ स्टेडी (स्थिर) रहता है तो अच्छा है, वर्ना खराब विचार आए तो हमें बता देना । तो हम उपाय बताएँगे, कि इस रास्ते पर ऐसा है, वर्ना मारा जाएगा। उपाय हमेशा हाथ में होना चाहिए। दादा को बता देने से मन बंध जाता है। विचार ऐसी चीज़ है, गाँठ चार-छः महीने बंद रहती है और फिर फूटे तब विचार तो आएँगे लेकिन हमें प्रतिक्रमण कर लेना चाहिए ।
विषय तो प्रत्यक्ष महादु:ख है, निरे अपयश के ही पोटले ! अतः जागृति तो इतनी रहनी चाहिए कि यह कर्म करने से पहले क्या स्थिति, फिर क्या स्थिति, वह सबकुछ एकदम दिखे ज्ञान इतना निरावरण हो जाए, उसके बाद दिक्कत नहीं है।
समझो निश्चय के स्वरूप को ...
प्रश्नकर्ता: अपने निश्चय को तुड़वाता कौन है ?
दादाश्री : वही, अपना ही अहंकार । मोहवाला अहंकार है न! मूर्छित अहंकार! जैसे शराब पीया हुआ इंसान अंदर घूम रहा हो, वैसा ही है वह वह तुड़वा देता है !
प्रश्नकर्ता: ऐसा हो तो हमें क्या करना चाहिए ?
दादाश्री : करना तो कुछ है ही नहीं न! दादा की आज्ञा का पालन करे तो ऐसा सब रहेगा ही नहीं न !! 'मैं शुद्धात्मा हूँ', उसके बाद अहंकार का सब देखते रहना है, आज्ञा का पालन करे तो कुछ है ही नहीं। लेकिन ' आज्ञा क्या है', वह समझे ही नहीं हैं न अभी तक ? सिर्फ समभाव से निकाल करते हैं, वह भी थोड़ा-बहुत समझकर करते हैं अभी तक ! वह शराब पीकर