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विषय विचार परेशान करें तब... (खं-2-४)
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तब भी निश्चय मज़बूत कर लेना, थोड़ी देर। दो शब्द पढ़ ले तो क्या टाइम लगेगा उसमें? इससे लिंक टूट जाएगी सारी। अंदर जो लिंक चल रही होंगी न, वे टूट जाएँगी सारी। तहस-नहस हो जाएंगी। लिंक तहस-नहस करनी हैं। लिंकों से विषय बढ़ता है।
__ अंदर आनंद होता है न, सामायिक प्रतिक्रमण करते हो उस समय? जैसे कि मुक्त हों, ऐसा लगता है न?
प्रश्नकर्ता : यह चित्त जो भटक रहा होता था, मन जो विचार कर रहा होता था, वह सब बंद हो जाता है, वहाँ सभी चीजें ठहर जाती हैं।
दादाश्री : सबकुछ ठहर जाएगा। ऐसा है न, आप और कुछ सेट कर दो तो विषय तो दूर खड़ा रह जाएगा। ऐसा है बेचारा। वह तो घबराता है बेचारा। जैसे कि, अगर यहाँ अच्छे लोग खड़े हों, तो उस समय हल्की जाति के लोग खड़े नहीं रहेंगे, उसी तरह।
प्रश्नकर्ता : यह आप जब से, दो दिन से बोले हो न, तो यों ऐसे पराक्रम जैसा खड़ा हो गया है कि यों जितनी पोलम्पोल चल रही थी, वह सब बंद हो गई है।
दादाश्री : हाँ, बंद हो जाती है। यह तो दादा के ये शब्द, सारी पोलम्पोल सबकुछ बंद हो जाती है। आप ध्यान रखो तो बहुत अच्छा है। अंदर सतर्क और इसमें भी सतर्क, लेकिन उतना ही यदि इसमें सतर्क रहे तो इसमें फर्स्टक्लास हो जाएगा। वह कुशलता है न एक प्रकार की! लेकिन कहे अनुसार करोगे तो। बार-बार मौका नहीं मिलेगा ऐसा। यह आखिरी मौका है। उठा लो फायदा इस आखिरी मौका का।
कला से काम निकालो कुछ बदलाव होने लगे तो कागज़ पर लिखकर मुझे चिट्ठी भेज देना। अन्य सभी गलतियाँ चला लेंगे। अन्य सभी तरह की