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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
गलतियाँ नहीं चलाएँ तो इंसान परेशानी में पड़ जाए, वह परेशान हो जाएगा बेचारा। खाने-पीने की ही तक़लीफ है। फिर अगर खाना नहीं खाने दें कि यह नहीं खा सकते तो वह क्या करे ? क्या कुएँ में गिर जाए? अपने यहाँ सारी छूट दी है। खाना भाई, आइस्क्रीम भी खाना। कुछ भी करके तेरे मन को मनाना।
प्रश्नकर्ता : मन को इस तरह मनाने से पूर्ण हो जाएगा ?
दादाश्री : नहीं, पूर्ण नहीं होगा ।
प्रश्नकर्ता तो ?
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दादाश्री : अपना दिन बीत जाएगा न अभी।
प्रश्नकर्ता : यानी सिर्फ संतोष के लिए। लेकिन आगे जाकर वापस करना तो पड़ेगा न ?
दादाश्री : वह तो फिर से ब्रेक लगाना वापस। ज़रा अभी का पल गुज़र गया। उसके बाद हथियार लेकर उसके पीछे पड़ जाना। अभी समय निकाल दो। टेढ़ा पुलिसवाला मिल जाए तो 'साहब, सलाम' करके एकबार खिसक जाना और बाद में उसे देख सकते हैं। बाद में उसके पीछे पड़ेंगे। लेकिन अगर अभी डाँटेंगे तो नहीं चलेगा। अभी हम हाथ लग गए, पकड़े गए तो फिर? कला से काम लेना पड़ेगा और मन तो जड़ है। वह जड़ है, इसलिए किसी की सुनता नहीं है न, हम कला से काम लेंगे तो ठिकाने पर आ जाएगा !
वापस ऐसा मौका नहीं मिलेगा और सरल तरीके से, कम मेहनत में और वापस आनंदपूर्वक । पहले तप करने पड़ते थे, वे भी सब कठोर तप । सहन ही नहीं हो सकते थे, देखते ही घिन आए।
अपना ज्ञान है इसलिए हमें तो परेशानी है ही नहीं । ज्ञान तो मन को देखता है कि मन क्या कर रहा है और क्या नहीं ?