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[५] नहीं चलना चाहिए, मन के कहे अनुसार
ज्ञान से करो स्वच्छ, मन को दादाश्री : मन बिगड़ता है अभी भी? प्रश्नकर्ता : बिगड़ता है।
दादाश्री : तेरी दुकान में माल होगा, तब तक बिगड़ेगा लेकिन अब जो माल है, तो फिर उसे धो देना। धोकर साफ करते हो या नहीं करते?
प्रश्नकर्ता : हाँ, करता हूँ।
दादाश्री : यानी स्वच्छ जीवन। मन भी नहीं बिगड़े कभी भी! देह तो बिगड़े ही नहीं लेकिन मन भी नहीं बिगड़े और बिगड़ जाए तो तुरंत ही धोकर साफ करके, इस्त्री करके एक तरफ रख देना।
जहाँ ज्ञान है, वहाँ संसार का एक भी विचार नहीं आना चाहिए। हमें संसार का एक भी विचार नहीं आता। वह भी स्त्री का? ये सभी स्त्रियाँ बैठी हैं, लेकिन हमें स्त्री से संबंधित विचार तक नहीं आते। अर्थात सब खाली हो जाना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : हो जाना चाहिए या कर देना चाहिए?
दादाश्री : हो जाना चाहिए। यह मार्ग ऐसा है कि आपको खाली नहीं करना पड़ेगा। अपने आप खाली होता रहेगा। हमारी आज्ञा में रहोगे तो खाली होता रहेगा।