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विषय विचार परेशान करें तब... (खं-2-४)
न! सौ दिन तक तैरे लेकिन एक दिन डूब गए तो फिर व्यर्थ ही है!
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पिछले जन्म की माँ आज बेटी भी बन सकती है। जैसा काकी बन सकती है, मामी बन पत्नी भी बन सकती है। ऐसा और इस जन्म में पत्नी बने
ऋण बंधा हो वैसा ही होता है। सकती है, मौसी बन सकती है, सब हो सकता है! यदि माँ हो तो वैराग्य नहीं आएगा? ऐसा समझना है !
प्रश्नकर्ता : जब तक कुसंग का वातावरण है, तब तक इसका निबेड़ा नहीं है।
दादाश्री : इस सत्संग से निबेड़ा आता ही है न! अपनी सारी मेहनत मिट्टी में मिला देता है कुसंग ।
प्रश्नकर्ता : कुसंग में माल फूटता है।
दादाश्री : कुसंग की गंध ही ऐसी है। कुसंग में जाना पड़े तो भी प्रतिक्रमण करना पड़ेगा ।
प्रश्नकर्ता : मतलब एक ओर विषय के विचार अच्छे लगते हैं और एक ओर नहीं भी लगते, इस प्रकार दोनों चीज़ होती
हैं।
दादाश्री : ऐसा नहीं चलेगा, अगर ब्रह्मचारी रहना हो तो। वर्ना शादी कर लो।
बहुत लूज़ हो रहा हो तो मज़बूत कर दे अब ! ऐसे पूछना और सारी बातचीत करना !
बुद्धि की वकालत, बिना फीस के
प्रश्नकर्ता : प्रकृति अभी भी एकदम अपना स्वभाव तुरंत छोड़ती नहीं है न! विचार वगैरह सब थोड़ा-थोड़ा रहता है। दादाश्री : बहुत नहीं न लेकिन !