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दृढ़ निश्चय पहुँचाए पार (खं-2-३)
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प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य का निश्चय बरते, ऐसा, लेकिन पुरुषार्थ में कमी रह जाती है, तो उसके लिए क्या करना चाहिए?
दादाश्री : वह पुरुषार्थ में कमी नहीं है। निश्चय, वही पुरुषार्थ
प्रश्नकर्ता : निश्चय हो तो फिर वह चीज़ रहेगी ही।
दादाश्री : वह कमी डिस्चार्ज में है। जो कमी है, वह डिस्चार्ज में है, चार्ज में नहीं है और जो डिस्चार्ज में है, उसकी कीमत नहीं है।
प्रश्नकर्ता : विषय के बारे में तो पहले से ही स्ट्रोंग रखा हुआ है और अभी भी उस बारे में बहुत जागृति रखी हुई है ठेठ तक, लेकिन ये जो, संसार में दूसरी जो घटनाएँ होती है...
दादाश्री : उनका कुछ नहीं, उनकी कीमत ही नहीं है। कीमत इसी की है, ब्रह्मचर्य की। बाकी के सभी लोग मनुष्य देह में पशु हैं! पाशवता का दोष है। अन्य किसी चीज़ की कीमत है ही नहीं।
प्रश्नकर्ता : बाकी, विषय में तो इतना तक नक्की है कि अब यदि ऐसा कुछ हो जाए तो चंद्रेश को खत्म कर दूं, लेकिन अब तो यह चाहिए ही नहीं।
दादाश्री : तो ब्रह्मचर्य के बारे में अच्छा कहा जाएगा। ऐसी समझ की ज़रूरत है। बाकी जिसमें हैवानियत हो, वह तो रुकेगा ही नहीं न!
अधूरी समझ, वहाँ निश्चय कच्चा प्रश्नकर्ता : आपने निश्चय पर अधिक जोर दिया है। तो निश्चय के लिए क्या होना चाहिए, ब्रह्मचारियों में?
दादाश्री : निश्चय यानी क्या? कि सभी विचारों को बंद