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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
दादाश्री : इसमें तो ऐसा होता ही नहीं । इसमें 'नो' अपवाद ! बाकी सभी में अपवाद, लेकिन इसमें तो अपवाद है ही नहीं ।
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ब्रह्मचर्य के लिए हमारी तरफ से आपके लिए पूरा बल हैं, आपकी प्रतिज्ञा मज़बूत, सुंदर होनी चाहिए। आपकी प्रतिज्ञा, जोड़तोड़ रहित, लालच रहित और दुश्मनी रहित होनी चाहिए।
दृढ़ निश्चयी पहुँच सकते हैं
प्रश्नकर्ता : आप जब यह बताते हैं न, हमें खुद को नहीं दिख रहा हो तो हमें बल्कि कहना चाहिए कि, 'तुझमें ऐसा है, तभी दादा कह रहे हैं न!' तब फिर दिखने लगेगा |
दादाश्री : ऐसा जो कहते हो, तो वह बीज डाल रहे हो । प्रश्नकर्ता : फिर भी जब से मैंने आलोचना दी है न, तब से निश्चय बहुत स्ट्रोंग हो गया है।
दादाश्री : वह निश्चय स्ट्रोंग नहीं कहलाता । निश्चय तो, जब मज़बूत हो जाए, तब मैं (उसे) निश्चय कहता हूँ। सिर्फ मन से किया हुआ निश्चय नहीं चलेगा, निश्चय... व्यवहार में भी निश्चय होना चाहिए ।
ब्रह्मचर्य का कोर्स पूरा करेगा ?
प्रश्नकर्ता : ज़रूर । वह तो चाहिए ही नहीं अब । विषय का विचार तक अच्छा नहीं लगता, लेकिन जो अच्छा लगनेवाली बिलीफ है न, वह अभी भी रहा करती है। उसके प्रति जो रुचि है, वह अभी भी रहा करता है अंदर ।
दादाश्री : और अरुचि भी है न ?
प्रश्नकर्ता CB जितनी रुचि रहती है, उससे अधिक अरुचि रहा करती है।
दादाश्री : लेकिन तूने तय क्या किया है ?