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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
सुबह-सुबह तय कर लेना कि 'इस जगत् की कोई भी विनाशी चीज़ मुझे नहीं चाहिए', फिर उसके प्रति सिन्सियर रहना है। अंदर तो बहुत से लबाड़ हैं कि जो सिन्सियर नहीं रहने देते, लेकिन यदि निश्चय के प्रति सिन्सियर रहे तो फिर उसे कोई चीज़ बाधक नहीं रहेगी।
जितना तू सिन्सियर, उतनी ही तेरी जागृति। यह हम तुझे सूत्र के रूप में दे रहे हैं और छोटा बच्चा भी समझ जाए, इतने विवरण सहित दे रहे हैं। लेकिन जो जितना सिन्सियर, उतनी उसकी जागृति। यह तो साइन्स है। जितनी इसमें सिन्सियारिटी उतना ही खुद का (काम) होता है और यह सिन्सियारिटी तो ठेठ मोक्ष की ओर ले जाती है। सिन्सियारिटी का फल, मोरालिटी आ जाती है। जो थोड़ा-थोड़ा सिन्सियर हो और यदि वह सिन्सियारिटी के पथ पर चले, उस रोड पर चले, तो वह मोरल हो जाता है। संपूर्ण मोरल हो गया, मतलब परमात्मा प्राप्त होने की तैयारी हो गई, इसलिए पहले सिन्सियारिटी की ज़रूरत है। मोरालिटी तो बाद में आएगी।
___एक बार तू सिन्सियर हो जा। जितनी चीज़ों के प्रति तू सिन्सियर है, उतना ही उन चीज़ों को जीत लिया और जितनी चीज़ों के प्रति अनसिन्सियर, उतनी नहीं जीत पाए। इसलिए सभी जगह सिन्सियर हो जाओगे तो तुम जीत जाओगे। इस जगत् को जीतना है। जगत् को जीत लोगे तो मोक्ष मिलेगा। जगत् को जीते बगैर कोई मोक्ष में नहीं जाने देगा। _ 'रिज पॉइन्ट' पर रहे जोखिम तो देखो
प्रश्नकर्ता : उस दिन आप कुछ कह रहे थे कि जवानी में भी 'रिज पॉइन्ट' होता है, तो वह 'रिज पॉइन्ट' क्या है?
दादाश्री : 'रिज पॉइन्ट' मतलब यह जो छप्पर होता है, तो उसमें 'रिज पॉइन्ट' कहाँ होता है? सबसे ऊपर।