________________
विषय विचार परेशान करें तब... (खं-2-४)
१३९
ही होती हैं और पुरुष तीस प्रतिशत ही होते हैं इसलिए ब्रह्मचर्य से संबंधित अत्यंत जागृत रहना पड़ता है। उन लोगों का रिस्पोन्स बहुत होता है। जैसे कि अच्छे पद गवाएँ, तो वे लोग यों खुश हो जाती हैं।
दादाश्री : ऐसा स्थूल अब्रह्मचर्य तो नहीं होता न! झंझट तो सूक्ष्म में है। वे भी रास्ते में और शहरों में मिलते हैं। गाँवों में तो रुचि का इतना कारण ही नहीं है न!
प्रश्नकर्ता : लेकिन गाँठे फूटती हैं कभी कभार। दादाश्री : उन्हें तो तोड़ देना।
प्रश्नकर्ता : उनका निवारण तुरंत हो जाता है, तुरंत पाँच ही मिनट में।
दादाश्री : जितना धुल जाए, उतना कम है। 'शूट ऑन साइट' ही होना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : 'शूट ऑन साइट' ही हो जाता है। यह तो हमें जब मिलने का मौका आता है न। यों घर पर रहते हैं तब नहीं आते।
दादाश्री : अनंत जन्मों से यही के यही प्रतिस्पंदन। पहले के संस्कार, वह भान ही नहीं था न!
मन की पोलों के सामने.... कोई स्त्री अपने सामने आँख मारती रहे तो, उसमें हमें क्या? वह तो स्त्री तो मारेगी ही। उससे हमें क्या? तू भी ग़ज़ब का है? ऐसा कानून है क्या, कि स्त्री आँखें नहीं मार सकती? क्या हम उसे ऐसा कह सकते हैं?
प्रश्नकर्ता : स्त्री से नहीं कह सकते। लेकिन चंद्रेश अंदर लपेट में आ जाता है। उसका क्या? चंद्रेश खिंच जाता है।