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माहात्म्य ब्रह्मचर्य का (खं-1-3)
पर से गुज़र रहा होऊँ और मेरे कपड़े पर दाग़ लग जाए अगर मुझे उसे तुरंत धोना आता हो, तो फिर मैं आपके यहाँ साफसुथरा होकर आऊँगा या नहीं ?
प्रश्नकर्ता: हाँ, आ सकते हैं।
दादाश्री : उसी तरह इन्हें सभी साधन दिए हुए हैं। वर्ना मन-वचन-काया से ब्रह्मचर्यव्रत का पालन कैसे किया जा सकेगा ? और वह भी ऐसे अंतरदाहवाले काल में !
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यदि आपको ब्रह्मचर्य पालन करना हो तो आपको उपाय बताता हूँ। वह उपाय आपको करना पड़ेगा, नहीं तो फिर आपको ब्रह्मचर्य पालन करना ही चाहिए, यह ऐसी कोई अनिवार्य चीज़ नहीं है। वह तो जिसे अंदर कर्म का उदय होता है, तभी हो सकता है। शादी करने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन इन लोगों को शादी में सुख दिखता ही नहीं है। उन्हें पुसाता ही नहीं है। जब वे मना करते हैं, तब हम ब्रह्मचर्यव्रत देते हैं, वर्ना मैं किसी को ऐसा ब्रह्मचर्यव्रत लेने के लिए नहीं कहता। क्योंकि व्रत लेना, व्रत का पालन करना, वह कोई ऐसी वैसी बात नहीं है । ब्रह्मचर्यव्रत लेना, वह तो अगर उसका पूर्वकर्म का उदय होगा तो संभाल सकता है। पूर्व में भावना की होगी तो संभाल सकता है, या फिर अगर आप संभालने का निश्चय करोगे तो संभाल सकोगे । हम क्या कहते हैं कि आपका निश्चय होना चाहिए और हमारा वचनबल साथ में हैं, तो यह संभाला जा सके, ऐसा है । व्रत के परिणाम
प्रश्नकर्ता : वह तो उसकी भूमिका के अनुसार होगा न ? सभी चीजें मनोबल पर आधारित नहीं हो सकतीं । उसकी आध्यात्मिक स्टेज की भूमिका होनी चाहिए, तभी यह चीज़ संभव है न?
दादाश्री : वह संभव हो या न हो, लेकिन अभी संभव हो गया है। कितने ही स्त्री - पुरुष हमारे पास हमेशा के लिए