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दृष्टि उखड़े, 'थ्री विज़न' से (खं-2-२)
मोहबाजार तो मार ही डाले इस काल में। यह तो स्त्रियों को देखने से ही रोग घुस जाता है न! क्या वह शादीशुदा नहीं है? शादीशुदा है फिर भी ऐसे! क्योंकि यह काल ही ऐसा है। यह थ्री विज़न याद रहेगा या भूल जाओगे?
प्रश्नकर्ता : दृढ़ निश्चय होने के बावजूद किसी स्त्री की ओर बार-बार दृष्टि आकृष्ट होती है और थ्री विजन जानने के बावजूद 'जैसा है वैसा' क्यों नहीं दिखता?
दादाश्री : उसने थ्री विज़न जाना नहीं है, थ्री विज़न जान ले तो उसकी दृष्टि आकृष्ट ही नहीं होगी। थ्री विज़न दिखे तो उसमें पड़ेगा ही नहीं। जबकि यह तो दृष्टि पड़े तो वापस देख लेता है।
प्रश्नकर्ता : यह जो थ्री विज़न नहीं दिखता है, क्या वह मोह के कारण है?
दादाश्री : जानता ही नहीं है। थ्री विज़न क्या है, वह जानता ही नहीं है। मोह के कारण भान में ही नहीं आता और मोह यानी अभानता।
प्रश्नकर्ता : तो फिर अब थ्री विज़न दिखने का उपाय क्या
दादाश्री : वह दिखेगा नहीं। उसका उपाय ही क्या करना? वह जिसे दिखता है, वे इंसान अलग ही तरह के होते हैं। गज़ब के इंसान होते हैं।
इस काल में इंसान को इतना वैराग्य नहीं रह पाता! अत: यह थ्री विज़न बहुत ऊँची चीज़ है, उससे फिर वैराग्य रहता है। हमने छोटी उम्र से ही ऐसा प्रयोग किया था। खोज की कि सबसे बड़ा रोग यही है। फिर इस जागृति से प्रयोग किया, बाद में तो हमें सहज हो गया। हमें यों ही सबकुछ आसानी से दिखता है।