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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
से संबंधित, चारित्र से संबंधित 'देखत भूली' का उपाय क्या है ? अगर ज्ञान मिला हो तो खुद को गलती का पता चलता है कि ‘यहाँ पर यह गलती हुई, यहाँ मेरी दृष्टि बिगड़ गई थी।' वहाँ पर फिर खुद आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान करके धो देता है लेकिन जिसे यह ज्ञान नहीं मिला है, वह क्या करेगा बेचारा ? उसे तो भयंकर झूठी चीज़ को सच मानकर चलना पड़ता है। यह आश्चर्य है न! यह तो जिसे ज्ञान मिल गया है, उसे दिक्कत नहीं है, वह तो दृष्टि बिगड़ी कि तुरंत धो देता है।
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यदि आपका शुद्ध उपयोग है, तो सामनेवाले का कैसा भी भाव हो तब भी आपको छू नहीं पाएगा !
प्रश्नकर्ता: एक स्त्री को देखकर किसी पुरुष को खराब भाव हो जाए, तो इसमें स्त्री का दोष है क्या ?
दादाश्री : नहीं, इसमें स्त्री का कोई दोष नहीं है ! भगवान महावीर का लावण्य देखकर कई स्त्रियों को मोह उत्पन्न होता था, लेकिन उस की वजह से भगवान को कुछ भी नहीं स्पर्श करता था। यानी ज्ञान क्या कहता है कि आपकी क्रिया हेतुसहित होनी चाहिए। आपको ऐसे बाल नहीं बनाने चाहिए या ऐसे कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए कि जिससे सामनेवाले को मोह उत्पन्न हो । अपना भाव साफ होगा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। भगवान केश का लुंचन क्यों करते थे? कि इन बालों की वजह से अगर किसी स्त्री का मुझ पर भाव बिगड़े तो ? इसलिए ये बाल ही निकाल दो ताकि भाव ही नहीं बिगड़ें। क्योंकि भगवान तो बहुत रूपवान होते हैं, महावीर भगवान का रूप, पूरे वर्ल्ड में सुंदर ! देवता भी बहुत रूपवान होते हैं, लेकिन उस समय तो रूप से भी रूपवान तो भगवान महावीर थे! उन पर कोई स्त्री मोहित न हो जाए, इसलिए उन्हें जागृति रखनी पड़ती थी । फिर भी कोई मोहित हो जाए तो उसके लिए वे खुद ज़िम्मेदार नहीं थे, क्योंकि खुद की वैसी इच्छा नहीं थी न !