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दृष्टि उखड़े, 'थ्री विज़न' से (खं-2-२)
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प्रश्नकर्ता : और कुछ मालूम नहीं है। दादाश्री : खाने में क्या-क्या खाता है? प्रश्नकर्ता : दाल, चावल, रोटी, सब्जी। दादाश्री : फिर जब वह गलन होता है, तब क्या होता
प्रश्नकर्ता : मल बन जाता है।
दादाश्री : ऐसा क्यों होता है? हम जो आहार खाते हैं न, उसमें से सभी सार खिंच जाता है और खून आदि सब बनता है और शरीर जीवित रहता है और जो असार बचता है, वह निकल जाता है। यह तो सारी मशीनरी है। खून चलता रहे, तो आखें चलती रहती है, अंदर सभी वायर कार्यरत ही हैं। आहार डालते हैं तो इलेक्ट्रिसिटि पैदा होती है। इलेक्ट्रिसिटि से श्वासोच्छ्वास चलते हैं।
अभी एक पोटली में रेशमी चादर से हड्डियाँ और मांस बाँध लिए, फिर उसे यहाँ पर लाकर रख दिया हो तो तुझे वह ध्यान तो रहेगा न, कि इसमें यह भरा हुआ है?
प्रश्नकर्ता : रह सकता है न!
दादाश्री : तो ठीक है। जिसे यह लक्ष्य में रहे, उसे बड़ा अधिपति कहा गया है, वह जागृत कहलाता है। जो जागृत हो, वह इस संसार में नहीं उतरता, और जागृत ही वीतराग बन सकते
अद्भुत प्रयोग, थ्री विज़न का मैंने जो प्रयोग किया था, उसी प्रयोग का उपयोग करना है। हमारे अंदर वह प्रयोग निरंतर सेट ही रहता है, इसलिए हमें ज्ञान होने से पहले भी जागृति रहती थी। यों सुंदर कपड़े पहने