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किस समझ से विषय में... (खं-2-1)
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है। यदि शोक ही मिलता रहेगा, तो फिर वह चला जाएगा। वर्ना जो चिपक गया है तो फिर वह छूटेगा ही नहीं न?
"एक विषय ने जीतता, जीत्यो सहु संसार, नृपति जीतता जीतिए, दल, पूर ने अधिकार "
- श्रीमद् राजचंद्र एक सिर्फ राजा को जीत लिया तो दल, नगर और अधिकार सबकुछ हमें मिल जाता है। उसकी पूरी सेना वगैरह सबकुछ मिल जाता है। सेना जीतने जाओगे तो राजा को नहीं जीत पाओगे। उसी तरह इस राजा (विषयरूपी) को जीत लिया कि सबकुछ अपने अधिकार में आ जाएगा। तभी तो हम मुक्त रहते हैं न! सिर्फ यह विषय ही ऐसा है कि जिसे जीतने पर सारा राज्य हाथ में आ जाएगा। हमें विषय का विचार तक नहीं आता।
टले ज्ञान और ध्यान... " विषयरूप अंकुरथी, टले ज्ञान अने ध्यान, लेश मदिरापानथी, छाके ज्यम अज्ञान "
___ - श्रीमद् राजचंद एक ही बार यदि विषय भोगा तो सबकुछ बिगड़ जाता है। बाद में अनंत जन्मों का नुकसान होता है और नर्कगति का अधिकारी बनता है। कौन सा ऐसा विषय है कि जो नर्कगति नहीं दिलवाता? जो लोकमान्य है। कोई शादीशुदा इंसान, उसकी स्त्री को लेकर जा रहा हो तो लोग आपत्ति उठाएँगे?
प्रश्नकर्ता : नहीं उठाएँगे। दादाश्री : और शादीशुदा नहीं हो और जा रहा हो तो? प्रश्नकर्ता : तो आपत्ति उठाएँगे। दादाश्री : वह लोकमान्य नहीं कहलाएगा। वह नर्कगति का