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किस समझ से विषय में... (खं-2-1)
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प्रश्नकर्ता : विचार तो मुझे ब्रह्मचर्य के ही आते हैं।
दादाश्री : नहीं। वही कह रहा हूँ मतलब ब्रह्मचर्य के ही आते हैं ? नहीं!
प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ।
दादाश्री : अब्रह्मचर्य के विचार नहीं आते ?
प्रश्नकर्ता : वह तो मुझे बहुत गंदा लगता है।
दादाश्री : बहुत अच्छा।
प्रश्नकर्ता : और मुझे इतना समझ में आ गया है कि यह जो जन्म हुआ है, वह इस विषय की गाँठ निकालने के लिए ही हुआ है। बाकी का सब तैयार ही है मेरा !
दादाश्री : तब तो बहुत अच्छा, तब तो समझदार है। मेरी पसंद की बात आई अब । बस, बस। मुझे पसंद आई यह बात । अब ऑलराइट। इससे बहुत संतोष हुआ मुझे ।