________________
६८
समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
कोई दंड लेना चाहिए। मन को जो भाता हो, उस दिन वह चीज़ कम खाना। ऐसा कोई दंड देना चाहिए।
देखना, सामान्य भाव से स्त्री की तरफ तो सबसे पहले दृष्टि बिगड़ती है। दृष्टि बिगड़ने के बाद आगे बढ़ता है। जिसकी दृष्टि नहीं बिगड़ती उसे कुछ भी नहीं होता। अब अगर तुझे सेफ साइड करनी हो तो दृष्टि मत बिगड़ने देना और दृष्टि बिगड़ जाए तो प्रतिक्रमण करना।
प्रश्नकर्ता : इस विषय-विकारी दृष्टि के परिणाम क्या हैं?
दादाश्री : अधोगति। यह तो पूरे दिन 'चाय' याद आती है। 'चाय' देखते ही दृष्टि बिगड़े तो फिर वह चाय पीए बिना रहेगा क्या? दृष्टि का नहीं बिगड़ना, वह सबसे बड़ा गुण कहलाता
है।
भगवान ने कहा है कि दुनिया में सभी चीजें खाना, लेकिन मनुष्य जाति की आँखों में मत देखना और उसके चेहरे को एकटक मत देखना। अगर देखो तो सामान्य भाव से देखना, विषय भाव से मत देखना। आमों को देखकर पास में रखोगे तो पड़े रहेंगे। वह एक तरफा है, लेकिन यह जीता-जागता जीव तो चिपक जाएगा, उसके बाद एक तरफ रख दोगे तो दावा करेगी। शादी के समारोह में जब स्वागत द्वार पर खड़े रहते हो तो क्या हर एक आनेवाले को एकटक देखते हो? नहीं। वहाँ तो एक आता है और एक जाता है, यों सामान्य भाव से देखते हो। उसी तरह से देखना है। मैंने ज्ञान होने से पहले ही तय किया हुआ था कि सामान्य भाव से देखना है।
ये सभी लोग नहीं होते तो अच्छा होता न? अपने भाव ही नहीं बिगड़ते न?
प्रश्नकर्ता : नहीं, वह तो अपने अंदर भाव ही ऐसे हैं,