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किस समझ से विषय में... (खं-2-1)
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गया है, जबकि लोगों ने इसे किसी और ही तरह से कीमती माना है।
प्रश्नकर्ता : विषय में सबसे ज़्यादा मिठास मानी है, तो किस आधार पर मानी है?
दादाश्री : वह मिठास जो उसे महसूस हुई और अन्य किसी जगह पर मिठास देखी नहीं है, इसलिए उसे विषय में बहुत मिठास लगती है। अगर देखने जाएँ तो सबसे ज़्यादा गंदगी वहीं पर है, लेकिन मिठास की वजह से उसे अभानता आ जाती है। इसलिए उसे पता नहीं चलता। यदि इस विषय को गंदगी समझे तो उसकी सारी मिठास गायब हो जाएगी।
गलगलिया (वृत्तियों को गुदगुदी होना, मन में मीठा लगना) से ही जगत् फँसा हुआ है। गलगलिया होने लगे तो तुरंत ही ज्ञान हाज़िर कर देना, ताकि उससे सब अलग अलग दिखे और उससे छूटा जा सके।
फिर भी आकर्षण क्यों? प्रश्नकर्ता : चित्त किसी एक ही जगह पर ज़्यादा आकर्षित होता है।
दादाश्री : उस जगह को खोद देना, खोदकर निकाल देना। वह जगह कहाँ है?
प्रश्नकर्ता : एक जगह यानी कुछ अवयवो की तरफ ही दृष्टि ज़्यादा जाती है।
दादाश्री : जिसे ऐसा ज़्यादा होता हो, उसे शादी कर लेनी चाहिए। सभी जगह दृष्टि बिगाड़ने के बजाय एक कुएँ में पड़ना अच्छा। बाद में, पचास की उम्र में कोई भी नहीं मिलेगी।
चोरी करना अच्छा लगता है ? झूठ बोलना, मरना अच्छा लगता