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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
कहलाता है या शादी के बाद ब्रह्मचर्य पालन करना, वह उत्तम कहलाएगा?
दादाश्री : बालब्रह्मचारी की बात ही अलग है न! लेकिन आजकल के बालब्रह्मचारी कैसे हैं? यह ज़माना खराब है। अभी तक का जो हुआ है, अगर उनका वह जीवन आप पढ़ो तो पढ़ते ही आपका सिर चकरा जाएगा।
प्रश्नकर्ता : हम खुद का ही जीवन देखें तो सिर चकरा जाए, तो भला उनके जीवन की क्या बात करें?
दादाश्री : फिर भी अगर अभी भी वे पालन करेंगे, अगर अभी भी बाड़ बाँधेगे तो इसका कुछ इलाज हो सकेगा। ज्ञानीपुरुष की छत्रछाया तो कभी होती ही नहीं, और दिन बदलते नहीं। ज्ञानीपुरुष हों, तब इसका पालन हो सकता है, वर्ना कैसे पालन कर सकेंगे? ज्ञानीपुरुष की कृपा चाहिए। चारों ओर से जब उलझ जाए, तब मार्गदर्शन बतानेवाला चाहिए। इसमें से किस तरह छूटा जाए? इसकी सभी चाबियाँ ज्ञानीपुरुष को पता होती हैं।
ब्रह्मचर्य पालन करने की सीढ़ियाँ प्रश्नकर्ता : स्वभाव की वजह से, प्राकृतिक गुणधर्म की वजह से अन्य कहीं दृष्टि बिगड़ जाए उस चीज़ को कैसे खत्म कर सकते हैं?
दादाश्री : हमारे पास उसे मिटाने की सभी दवाईयाँ हैं। इस वर्ल्ड में ऐसी कोई दवाई नहीं है कि जो हमारे पास नहीं हो। इन लड़कों को हमने ब्रह्मचर्यव्रत दिया है। अब ब्रह्मचर्यव्रत लेने के बावजूद भी यदि कोई स्त्री उसके सामने आ जाए और उसकी दृष्टि आकृष्ट हो जाए, और उसका मन भी बिगड़ जाए, तो इसे मैं दोष नहीं कहता लेकिन अगर ऐसा हो जाए तो उसे फिर तुरंत मिटा देना है। क्योंकि हमने साबुन दिया है। मैं रास्ते