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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
प्रश्नकर्ता : तो दोनों की ज्ञान की अवस्था एक समान होती है या उसमें अंतर होता है? शादी शुदावाले की और ब्रह्मर्चवाले की?
दादाश्री : ऐसा है न, ब्रह्मचर्यव्रतवाला कभी भी नहीं गिरता। उसे कैसी भी मुश्किलें आए फिर भी नहीं गिरता। फिर उसे सेफ साइड कहते हैं।
शरीर का राजा कौन? ब्रह्मचर्य तो शरीर का राजा है। जो ब्रह्मचर्य में रहे, उसका दिमाग़ तो कैसा सुंदर होता है। ब्रह्मचर्य, वह तो पूरे पुद्गल का सार है।
प्रश्नकर्ता : यह सार असार नहीं हो जाता न?
दादाश्री : नहीं, लेकिन वह सार खत्म हो जाता है, 'यूज़लेस' हो जाता है न! जिसमें वह सार रहे, उसकी तो बात ही अलग है न? महावीर भगवान को बयालीस साल तक ब्रह्मचर्यसार था। हम जो आहार लेते हैं, उस सभी के सार का सार, वह वीर्य है, वह एक्स्ट्रैक्ट है। अब एक्स्ट्रैक्ट यदि ठीक से संभालकर रखे तो आत्मा जल्दी प्राप्त होता है, सांसारिक दुःख नहीं आते, शारीरिक दु:ख नहीं आते, अन्य कोई दु:ख नहीं आते।
प्रश्नकर्ता : लेकिन वह शारीरिक है या उसका आत्मा के साथ भी संबंध है?
दादाश्री : नहीं, आत्मा के साथ कोई संबंध नहीं है, वह शारीरिक है लेकिन अगर यह शरीर स्वस्थ रहेगा तो आत्मा मुक्त हो सकेगा न जल्दी? यह शरीर कमज़ोर होगा, तो क्रोध-मानमाया-लोभ खड़े हो जाएँगे। उसमें से बंधन होगा।
प्रश्नकर्ता : यानी यदि शारीरिक संपत्ति अच्छी हो, तो क्रोधमान-माया-लोभ ज़रा कम उत्पन्न होते हैं, ऐसा?
दादाश्री : हाँ, लेकिन शारीरिक संपत्ति दो प्रकार की। एक