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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
का स्वरूप पूरी तरह से समझ में आ जाएगा) तब विज़न खुलेगा या फिर साल भर ब्रह्मचर्य पालन करे और विषय का विचार तक भी नहीं आए, तब विज़न खुलेगा। फर्स्ट विज़न में नेकेड दिखेगा, सेकन्ड विज़न में चमड़ी उतार दी हो ऐसा दिखेगा और अंत में आरपार दिखेगा तब जाकर विज़न खिलेगा।
अन्य कहीं दृष्टि बिगड़े, तब तो वह अधोगति की बहुत बड़ी निशानी कहलाती है। शादी हो गई है या नहीं?
प्रश्नकर्ता : नहीं हुई। दादाश्री : तो शादी कर लो न? प्रश्नकर्ता : शादी करने की इच्छा ही नहीं होती मुझे। दादाश्री : ऐसा? तो शादी किए बिना चलेगा?
प्रश्नकर्ता : हाँ, मेरी तो ब्रह्मचर्य की ही भावना है। उसके लिए कुछ शक्ति दीजिए, समझ दीजिए।
दादाश्री : उसके लिए भावना करनी पड़ेगी। तू रोज़ बोलना कि, 'हे दादा भगवान! मुझे ब्रह्मचर्य पालन करने की शक्ति दीजिए।'
और विषय का विचार आते ही निकाल देना। नहीं तो उसका बीज डल जाएगा। वह बीज यदि दो दिन तक रहे, तब तो मार ही डालेगा। फिर से उगेगा। इसलिए विचार आते ही उखाड़कर फेंक देना और किसी भी स्त्री पर दृष्टि नहीं गड़ाना। दृष्टि आकृष्ट हो जाए तो हटा देना और दादा को याद करके माफी माँग लेना। यह विषय आराधन करने जैसा है ही नहीं, ऐसा भाव निरंतर रहे तो फिर खेत साफ हो जाएगा। और अभी भी हमारी निश्रा में रहे तो उसका सबकुछ पूरा हो जाएगा।
प्रश्नकर्ता : हाँ, ठीक है।
दादाश्री : उसके कितने ही जन्म कम हो जाएँगे, कितने ही जन्मों के खड़े किए गए लफड़े भी खत्म हो जाएँगे।