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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
का सेवन करें
और झगड़ा बंद कर सकें, क्या ऐसा हो सकता
प्रश्नकर्ता : नहीं हो सकता।
दादाश्री : अत: उसके कारण बंद करने पड़ेंगे। मैंने कहा है न, कि मन-वचन-काया इफेक्टिव चीजें है। उनके कॉज़ेज़ बंद
करो!
प्रश्नकर्ता : कारण बंद करना यानी? ऐसा नहीं हो, ऐसे भाव करना, यही न?
दादाश्री : हमें कारण बंद करना है, यानी कल अगर पुलिसवाले ने अपना नाम लिख लिया हो, बगैर लाइटवाली साइकल पर जा रहे हों और नाम लिख ले तो दूसरे दिन हम कॉज़ेज़ बंद कर लेंगे या नहीं? कि भई आज तो लाइट डालो। तो क्या फिर वह नाम लिखेगा? वह कारण बंद हो गया न? उसी तरह ये कॉज़ेज़ बंद करने हैं। सबकुछ सीखा जा सकता है। सिर्फ 'चाय' की आदत पड़ गई है, झंझट इतनी ही है।
लाओ, ज़रा 'चाय' पी लेते हैं। अंदर अकुलाएगा, उस समय चाय पीने की ज़रूरत नहीं है। सोचने की ज़रूरत है। जबकि वहाँ पर चाय पी लेता है। जहाँ सोचने का स्कोप मिले दिमाग़ उलझ जाए तब कहेगा, 'चाय पीनी चाहिए'। अरे, अभी तो सोचने की ज़रूरत है। चाय अभी रहने दे, सुबह पीना। कॉज़ेज़ बंद करेंगे तो हो सकेगा या नहीं?
प्रश्नकर्ता : समझ में आया।
दादाश्री : एक बार किसी के साथ हमने अविनय किया हो, कि दूर हट यहाँ से, और वह गाली दे दे तो दूसरी बार हम ऐसा नहीं करेंगे न?
प्रश्नकर्ता : नहीं।