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२९९ व्रत की विधि से, टूटते हैं.... ३५७ ३०२ साधना, ‘संयमी' के संग
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नहीं डालना चाहिए दबाव... ३५४ ब्रह्मचर्य प्राप्त करवाए ब्रह्मांड का आनंदराजा-रानी का तलाक, शादी..... ३५५ इससे क्या नहीं मिल सकता ? समझो गंभीरता, ब्रह्मचर्य व्रत... आजीवन ब्रह्मचर्य, शुरू करवाए... चारित्र का सुख कैसा बरते फायदा उठाएँ या नुकसान रोकें ? [१५]
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अक्रम में ऐसे आश्रम की ....
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ब्रह्मचर्य के बिना नहीं जा...
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दोनों में से उच्च कौन सा ? चारित्रबल से कांपती हैं स्त्रियाँ
'विषय' के सामने विज्ञान से जागृति आकर्षण के सामने चाहिए ... पूर्व में चूके, उसके ये फल हैं वहाँ पर देखो शुद्धात्मा ही पुद्गल का स्वभाव ज्ञान से.... दृष्टि निर्मल कर सकते हैं ऐसे विचार ध्यान में तो परिवर्तित ... देखने से पिघलें, गाँठें विषय ‘देखना’' 'जानना' आत्मस्वरूप से जहाँ जागृति में झोंका, वहाँ अंत में तो आत्मरूप ही ... [ १६ ]
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फिसलनेवालों को उठाकर दौड़ाते सिर - माथे पर रखना ज्ञानी को .... जानो गुनाह के फल को पहले व्यापार में खो गए कि खोए ... एक ध्येय, एक ही भाव जिस राह पर चले, बताई 'दादा' बोलते ही दादा हाज़िर ध्येयी का हाथ थामें, दादा... ज्ञानी मिटाए अनंतकाल के रोग [ १७ ] अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक बिना निराई किए हुए खेत ३४८ नूर झलकता है ब्रह्मचर्य का
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बगड़े
सपने के भोग का पूर्वापर...
'दादावाणी निकली ब्रह्मचारियों... ब्रह्मचर्य का एक और.....
दृष्टि से ही बिगड़ता है....
किसी की बहन पर दृष्टि....
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प्रतिक्रमण ही एक उपाय
कैसा मोह, कि शौक से ....
'जवानी' सँभल जाए तो
आनंद की अनुभूति वहाँ
व्यवहार गढ़ता है ब्रह्मचारियों ....
निश्चय के साथ में वचनबल.... इसमें कर्मबंधन के नियम हैं ब्रह्मचर्य, चार्ज या डिस्चार्ज ? विषय टूटे, विरोधी बनने पर आलोचना, आप्तपुरुष से ही
अब तो उधार चुका दो
वह पाए परमात्म पद
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दादा देते पुष्टि, आप्तपुत्रियों को मोह ढक देता है जागृति को ३९९ शादी करने का आधार निश्चय... दोष, आँखों का या अज्ञानता... इस विवाह संबंध के स्वरूप... आकर्षण कुछ के प्रति ही... ऐसी 'समझ' कौन देगा ?
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कल्याण करना है या कल्याण.... ४२३