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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
के लिए अच्छा खाना खाते हैं, लेकिन फिर पट्टा ही नहीं जोड़ते! यानी कि इस मशीन से दूसरा काम करवा लेना चाहिए या नहीं करवाना चाहिए? क्या आपने करवाने का तय किया है? कुछ सद्गति हो, मोक्ष हो, उसके लिए पट्टा जोड़ना है, जीवन जीकर काम निकाल (निपटारा) लेना है।
हम अगर लोगों से पूछे कि आप क्यों खाते हो? तो कहेंगे कि जीवन जीने के लिए और पूछेगे कि जीवन क्यों जी रहे हो? तो कहेंगे, मुझे पता नहीं! अरे, यह कैसा? जीवन किसलिए जीना है? वह भी पता नहीं और बच्चों के कारखाने निकाले हैं! यह जीवन क्या बच्चों के कारखाने के लिए होगा? बच्चों के कारखाने, वह तो स्वभाविक है, लेकिन इससे क्या फायदा हुआ? शादी हुई तो बच्चे तो होते ही रहेंगे न? कुत्तों को भी बच्चे होते रहते हैं। वह तो अनपढ़ है, फिर भी बच्चे होते हैं। ये कुत्ते क्या पढ़े लिखे हैं? तो क्या उन्हें बच्चे नहीं होते होंगे? उन्होंने भी शादी की होती है। उनकी भी वाइफ होती हैं न? अत: कुछ समझना तो पड़ेगा न? तूने इन्जिनियरिंग पास की है, इसलिए अब तेरे पास क्या हुआ? मेन्टेनन्स की तेरी व्यवस्था हो गई। अब तेरा इन्जिन चलता रहेगा। पेट्रोल और ऑइल के लिए सारी व्यवस्था हो गई। अब तुझे इस इन्जिन से क्या काम करवा लेना है? अपना कुछ हेतु तो होना चाहिए न? यह नौकरी-व्यापार करते हैं, पैसा कमाते हैं, फिर भी यह पैसा तो दिन-रात चिंता ही करवाता है और बुरे विचार ही आते रहते हैं। किसका भोग लूँ, किसका ले लूँ, सब अणहक्क (बिना हक़ का, अवैध) का भोगता रहता है
और फिर नर्क में जाना पड़ता है। वहाँ भयंकर दुःख भुगतने पड़ते हैं। ये सुख तो उधार पर लिए हुए सुख कहलाते हैं और उधार के सुख लें, तो वे कितने दिन चलेंगे? नर्क गति में सूद के साथ लौटाने पड़ेंगे। उससे अच्छा उधार के सुख भी नहीं चाहिए
और हमें वह दुःख भी नहीं चाहिए। बाकी तो सब खाओ आराम से। जलेबी खाओ, चाय पीओ!