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२६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * का उदय होगा। इनको झूठा बताकर परास्त करना चाहा तब उस शिष्यने इनकी मखोलबाजी समझ गुरूकी मंत्र शक्तिको जाननेवाला इसने जोर देकर राजाके सामने कहा हां पूर्ण चन्द्रमाका उदय होगा इस बातको सुन राजा तथा सभाके सब मनुष्य अचम्भेमें आ गये और रात्रिकी प्रतीक्षा करने लगे। इन्होंने आकर गुरूसे निवेदन किया कि महाराज मैंने भूलसे सभामें अमावस्याको पूर्णिमा कह दिया। सो ब्राह्मणों ने उस भूलको ग्रहण कर विवादमें झूठा साबित कर परास्त करना चाहते हैं। तब श्री जगद्भूषणजीने बाजारसे एक कांस्यथाल मँगाकर उस कांस्य थालको मन्त्र द्वारा आकाशमें पूर्ण चन्द्रकर दिखाया । उस दिन ऐसा अपूर्व बड़ा पूर्णचन्द्र उदय भया जो कभी देखा नहीं था ब्राह्मणों को और राजा और राज कर्मचारियों तथा सारे शहरमें बड़ा आश्चर्य भया फिर सब ब्राह्मणोंने स्वयं मुहृत्तम इंटे लगाई । यह बात बनारसके विद्वानोंमें कुछ दिन पहले तक प्रचलित रही है। हमारे ही मुहल्ले गुरहाईमें श्रीमान् पं० मुकुन्दपति शास्त्री जिनके पास हम पढ़े हैं । कुछ दिन उनके भतीजे श्रीमान् महामहोपाध्याय पं० रघुपति शास्त्री