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गा० २२] उत्तरपयडिविहत्तीए सामित्ताणुगमो
६ ११०. सामित्ताणुगमेण दुविहो णिद्देसो ओषेण आदेसेण य । तत्थ ओघेण मिच्छत्त० विहत्ती कस्स ? अण्णदरस्स सम्मादिहिस्स मिच्छादिहिस्स वा । अविहत्ती कस्स ? सम्मादिहिस्स खविदमिच्छत्तस्स । सम्मत्त-सम्मामि० विहत्ती कस्स ? अण्ण मिच्छादिहिस्स सम्मादिहिस्स वा । अविहत्ती कस्स ? अण्णदरस्स मिच्छादि० सम्मादिहिस्स वा उव्वेल्लिद-खविदसम्मत्तसम्मामिच्छत्तस्स । अणंताणुबंधिचउक्कस्स विहत्ती कस्स ? अण्ण० मिच्छादि० सम्मादिहिस्स वा अविसंजोयिदअणंताणुबंधिचउक्कस्स । अविहत्ती कस्स ? अण्ण० सम्मादिहिस्स विसंजोयिद-अणंताणुबंधिचउक्कस्स । बारसकसाय-णवणोकसायविहत्ती कस्स ? सम्मादिहिस्स मिच्छादिहिस्स वा। अविहत्ती कस्स ? अण्ण० सम्मादिहिस्स णिस्संतकम्मियस्स । एवं मणुसतिय-पंचिंदिय-पंचिं० हैं। सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यमिथ्यात्वकी अपेक्षा सादि और अध्रुव पद स्पष्ट है। तथा शेष मार्गणाएँ सादि हैं, अतः उनकी अपेक्षा सादि और अध्रुव पंद ही होते हैं।
इस प्रकार सादि, अनादि, ध्रुव और अध्रुवानुगम समाप्त हुए ।
६११०. स्वामित्वानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है, ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश। उनमेंसे ओघकी अपेक्षा मिथ्यात्वविभक्ति किसके है ? किसी भी सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि जीवके मिथ्यात्वविभक्ति है। अर्थात् मिथ्यादृष्टि जीवके और जिस सम्यग्दृष्टि जीवने मिथ्यात्वका क्षय नहीं किया है उसके मिथ्यात्व विभक्ति होती है। मिथ्यात्व अविभक्ति किसके है ? जिसने मिथ्यात्व विभक्तिका क्षय कर दिया है ऐसे सम्यग्दृष्टि जीवके मिथ्यात्व अविभक्ति है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वविभक्ति किसके है ? किसी भी मिथ्यादृष्टि या सम्यग्दृष्टि जीवके है। सम्यक्त्वअविभक्ति और सम्यग्मिथ्यात्वअविभक्ति किसके है ? जिसने सम्यक्त्वविभक्ति और सम्यग्मिथ्यात्वविभक्तिकी उद्वेलना कर दी है ऐसे किसी भी मिथ्यादृष्टि जीवके या जिसने सम्यक्त्वविभक्ति और सम्यग्मिथ्यात्वविभक्तिका क्षय कर दिया है ऐसे किसी भी सम्यग्दृष्टि जीवके सम्यक्त्वअविभक्ति और सम्यग्मिथ्यात्वअविभक्ति है। अनन्तानुबन्धीचतुष्कविभक्ति किसके है ? किसी भी मिथ्यादृष्टि जीवके या जिसने अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी विसंयोजना नहीं की है ऐसे किसी भी सम्यग्दृष्टि जीवके अनन्तानुबन्धीचतुष्कविभक्ति है। अनन्तानुबन्धीचतुष्कअविभक्ति किसके है ? जिसने अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयोजना कर दी है ऐसे किसी भी सम्यग्दृष्टि जीवके अनन्तानुबन्धी चतुष्क अविभक्ति है। ( अनन्तानुबन्धीका विसंयोजन करके जो सम्यग्दृष्टि जीव तीसरे गुण स्थानमें आ जाता है उसके भी अनन्तानुबन्धी की अविभक्ति रहती है। किन्तु यहाँ उसकी विवक्षा नहीं की है।) बारह कषाय और नौ नोकषाय विभक्ति किसके है ? सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि जीवके है । बारह कषाय और नौ नोकषायअविभक्ति किसके हैं ? जिसने बारह कषाय और नौ नोकषायोंका क्षय कर दिया है ऐसे किसी भी सम्यग्दृष्टि जीवके है।
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