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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पयडिविहत्ती २ असंखेजा। अविहत्तिया अणंता । एवमणाहारएसु वत्तव्वं ।
६१६६.आदेसेण णिरयगईए णेरईएसुमिच्छत्त-सम्मत्त-सम्मामि०-अणंताणु०चउक० विह० अविह० केत्तिया? असंखेज्जा। बारसक०-णवणोक० विह० केत्तिया? असंखेज्जा। एवं पंचिंदियतिरिक्ख-पंचिं०तिरि०पज्ज०-देवा सोहम्मीसाण जाव अवराइद०-वेउब्धियःतेउ०-पम्म० वत्तव्यं । विदियादि जाव सत्तमि त्ति एवं चेव । णवरि मिच्छत्तस्स अविह० णत्थि । एवं पंचिंदि तिरि०जोणिणी-भवण-वाण-जोदिसिय० वत्तव्वं ।।
६१७०. तिरिक्खगईए तिरिक्खेसु मिच्छत्त-अणंताणु०चउक्क० विह० केत्ति ? अणंता। अविह० केत्ति०१ असंखेजा। सम्मत्त-सम्मामि० विह० केत्ति० १ असंखेजा। असंख्यात हैं। अविभक्ति वाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। इसी प्रकार अनाहारक जीवोंके कथन करना चाहिये।
विशेषार्थ-ओघसे छब्बीस प्रकृतिवाले जीव अनन्त हैं, क्योंकि गुणस्थानप्रतिपन्न जीवोंको छोड़कर शेष सभी संसारी जीवोंके छब्बीस प्रकृतियां पाई जाती हैं। तथा अविभक्तिवाले भी अनन्त हैं, क्योंकि इनमें सिद्धोंका भी ग्रहण हो जाता है। पर सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृतिवाले जीव असंख्यात ही होते हैं, क्योंकि इन दो प्रकृतियोंके कालमें संचित हुए जीवोंका प्रमाण असंख्यातसे अधिक नहीं होता। शेष सभी जीव इन दो प्रकृतियोंसे रहित हैं अतः उनका प्रमाण अनन्त बन जाता है। छब्बीस प्रकृतियोंकी अविभक्तिवालोंमें अनाहारकोंकी मुख्यता है। अतः अनाहारकोंका कथन ओषके समान करनेका निर्देश किया है।
१६६.आदेशकी अपेक्षा नरकगतिमें नारकियोंमें मिथ्यात्व, सम्यक्प्रकृति, सभ्यमिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले तथा अविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। बारह कषाय और नौ नोकषायकी विभक्तिवाले जीव कितने हैं? असंख्यात हैं। इसीप्रकार पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त, सामान्य देव, सौधर्म ऐशान स्वर्गसे लेकर अपराजित स्वर्ग तकके देव, वैक्रियिककाययोगी, पीतलेश्यावाले और पद्मलेश्यावाले जीवोंके कहना चाहिये। दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवी तक भी इसी प्रकार कथन करना चाहिये। इतनी विशेषता है कि द्वितीयादि पृथिवीवाले नारकी जीव मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले नहीं है। इसीप्रकार पंचेन्द्रिय तिथंच योनिमती, भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देवोंके कहना चाहिये ।
६१७०.तियंचगतिमें तियं चोंमें मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले जीव कितने है ? अनन्त हैं। अविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यक्प्रकृति और सम्यगमिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अविभक्तिवाले तिर्यच जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। बारह कषाय और नौ नोकषायकी विभक्तिवाले
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