Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२]
षड्ढिविहत्तीए फोसणाणुगमो
खेत्ते० १ लोग० असंखे० भागे। एवमकसाय-सुहुम०-जहाक्खाद-उवसम-सासणसम्मामिच्छादिहि त्ति । अभव० अवहि० के० खेते ? सव्वलोए ।
एवं खेत्ताणुगमो समत्तो। ६५१८. पोसणाणुगमेण दुविहो णिद्देसो ओघेण आदेसेण य । तत्थ ओघेण संखेजमागवड्ढीविहत्तिएहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखे० भागो अट्ठ चोदसभागा वा देसूणा। संखेञ्जमागहाणि० के० खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखे० भागो, अह चोदस० देसूणा, सव्वलोगो वा। अवहि० के० खेत्तं फोसिदं ? सव्वलोगो । संखेजगुणहाणि० खेत्तभंगो । एवं कायजोगि०-चत्तारिक०-अचक्खु० भवसि० आहारि ति।
६५१६. आदेसेण णेरइएसु संखेजभागवड्ढी० खेत्तभंगो। संखेजभागहाणि अवट्ठिद० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो छ चोद्दसभागा वा देसूणा ।
आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं । लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रमें रहते हैं। इसीप्रकार अकषायी, सूक्ष्मसापरायिक संयत, ययाख्यातसंयत, उपशमसम्यग्दृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिध्यादृष्टि जीवोंके कहना चाहिये। अभव्य अवस्थितविभक्तिस्थानवाले जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? सर्व लोकमें रहते हैं।
इसप्रकार क्षेत्रानुगम समाप्त हुआ।
६५१८. स्पर्शनानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । उनमेंसे ओघकी अपेक्षा संख्यातभागवृद्धि विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है। और अतीत कालकी अपेक्षा असनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। संख्यातभागहानि विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है। और अतीत कालकी अपेक्षा त्रसनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है या सर्वलोक क्षेत्रका स्पर्श किया है। अवस्थितविभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? सर्वलोक क्षेत्रका स्पर्श किया है। संख्यातगुणहानि विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है। इसी प्रकार काययोगी, क्रोधादि चारों कषायवाले, अचक्षुदर्शनी, भव्य और आहारक जीवोंके कहना चाहिये।
६५१६. आदेशकी अपेक्षा नाराकयोंमें संख्यातभाग वृद्धि विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है । संख्यातभागहानि और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भागक्षेत्रका स्पर्श किया है और अतीत ..
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