Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 485
________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पयडिविहत्ती २ विहंग-संजदासंजद-वेदय० दिठीणं वत्तव्यं । ५१०. मणुसपज्ज०-मणुसिणीसु अवष्टिद० सव्वजी० के० संखेज्जा भागा। सेसप० संखे० भागो । एवं मणपज०-संजद०-सामाइयछेदो० वत्तव्वं । सव्वढे अवट्टि सव्वजी० के० ? संखेजा भागा। संखेजभागहाणि° संखे० भागो। एवं परिहार० । ६५११. एइंदिएसु अवहिद० सचजी० के० १ अणंता भागा। संखेजभागहाणीए अणंतिमभागो। एवं बादरेइंदिय-बादरेइंदियपजत्तापज्जत्त-सुहुमेइंदिय-सुहुमेइंदियपजत्तापजत्त-सव्ववणप्फदि०-ओरालियमिस्स० - कम्मइय० - मदि-सुद-अण्णाणमिच्छादि०-असण्णि-अणाहारीणं । आहार० आहारमिस्स० भागाभागं णस्थि । एवमकसाय-सुहुम०-जहाक्खाद०-अभव० - उवसम०- सासण-सम्मामिच्छाइहि त्ति वत्तव्यं । आभिणि-सुद०-ओहि० अवढि० सव्वजीवा० के० १ असंखेजा भागा। कायिक आदि चार स्थावरकाय, त्रस लब्ध्यपर्याप्तक, वैक्रियिक मिश्रकाययोगी, विभंगज्ञानी, संयतासंयत और वेदकसम्यगृदृष्टि जीवोंके भागाभाग कहना चाहिये। ६ ५१०. मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यनियों में अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीव अपनी अपनी सर्व जीवराशिके कितने भाग हैं। संख्यात बहुभाग हैं । तथा शेष पदवाले संख्यात एक भाग हैं। इसीप्रकार मनःपर्ययज्ञानी, संयत, सामायिकसंयत और छेदोपस्थापनासंयत जीवोंके भागाभाग कहना चाहिये। सर्वार्थसिद्धिमें अवस्थितविभक्तिस्थानवाले जीव सभी सर्वार्थसिद्धिके देवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। तथा संख्यातभागहानि वाले जीव संख्यात एक भाग हैं। इसीप्रकार परिहारविशुद्धिसंयतोंका भागाभाग कहना चाहिये । ५११. एकेन्द्रियोंमें अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीव सभी एकेन्द्रिय जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं । तथा संख्यातभागहानिवाले जीव अनन्त एक भाग हैं। इसीप्रकार बादर एकेन्द्रिय, बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त, बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त, सूक्ष्म कटिय, सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त, सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त, सभी वनस्पतिकायिक, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, मिथ्यादृष्टि, असंज्ञी और अनाहारक जीवोंके भागाभाग कहना चाहिये। आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंके भागाभाग नहीं है, क्योंकि इनके एक अवस्थितपद ही पाया जाता है। इसीप्रकार अकषायी, सूक्ष्मसांपरायिकसंयत, यथाख्यात संयत,अभव्य, उपशमसम्यग्दृष्टि, सासादन सम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंके भागाभाग कहना चाहिये । मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंमें अवस्थितविभक्तिस्थानवाले जीव अपनी अपनी सर्व जीव राशिके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं। तथा शेष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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