Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 487
________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पयडिविहत्ती २ विहंग-संजदासंजद०-वेदय० वत्तव्वं । ३५१४. मणुस्सेसु संखेजभागवड्ढी-संखे०गुणहाणी० केत्ति ? संखेजा । सेसपदा० असंखे । मणुसपजत्त-मणुसिणीसु सव्वपदा संखेजा। सव्वहे दो पदा केत्ति ? संखेजा । एवं परिहार० । एइंदिय० अवटि० केत्ति० ? अणंता । संखेजभागहाणि के. ? असंखेजा। एवं वणप्फदि०-णिगोद०-ओरालियमिस्स० -कम्मइय०- मदिसुदअण्णाण ०-मिच्छादि०-असण्णि-अणाहारि त्ति । पंचिं०-पंचिं०पज-तस-तसपञ्ज. ओधभंगो। णवरि अवटि. असंखेजा । एवं पंचमण-पंचवचि०-पुरिस०-चक्खु०-. सण्णि त्ति । आहार-आहारामिस्स० अवा४ि० के० ? संखेज्जा । एवभकसा०-सुहुमजहाक्खादे त्ति । अवगद० सव्वपदा० केत्ति० ? संखेज्जा । एवं मणपज्ज०-संजद०. आदि चार स्थावरकाय, त्रसलब्ध्यपर्याप्त, वैक्रियिकमिश्रकाययोगी, विभंगज्ञानी, संयतासंयत और वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंका द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये । ५१४. मनुष्योंमें संख्यातभागवृद्धि और संख्यातगुणहानिवाले जीव प्रत्येक कितने हैं ? संख्यात हैं। तथा शेष स्थानवाले जीव असंख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त और मनुष्य नियों में सभी स्थानवाले जीव संख्यात हैं। सर्वार्थसिद्धिमें अवस्थित और संख्यातभाग हानिवाले जीव प्रत्येक कितने हैं ? संख्यात हैं । इसीप्रकार परिहार विशुद्धिसंयत जीवोंका द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये। ___ एकेन्द्रियोंमें अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । तथा संख्यातभागहानिवाले कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसीप्रकार वनस्पतिकायिक, निगोद, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, मिथ्यादृष्टि, असंज्ञी और अनाहारक जीवोंका द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये । पंचेन्द्रिय, पंचेन्द्रियपर्याप्त, त्रस और सपर्याप्त जीवोंका अवस्थित आदि विभक्तिस्थानोंकी अपेक्षा द्रव्यप्रमाण ओघके समान है। इतनी विशेषता है इन मार्गणास्थानोमें अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीव असंख्यात हैं। इसीप्रकार पांचों मनोयोगी, पांचों वचनयोगी, पुरुषवेदी, चक्षुदर्शनी और संज्ञी जीवोंका उक्त स्थानोंकी अपेक्षा द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये। __ आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंमें अवस्थितविभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसीप्रकार अकषायी, सूक्ष्मसांपरायिकसंयत और यथाख्यातसंयत जीवोंका अवस्थित विभक्तिस्थानकी अपेक्षा द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये। अपगतवेदियोमें संभव सभी पद वाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसीप्रकार मनः पर्ययज्ञानी, संयत, सामायिकसंयत और छेदोपस्थापना संयत जीवोंका संभव सभी पदोंकी अपेक्षा द्रव्यप्रमाण कहना चाहिये। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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