Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पयडिविहत्ती २ के मेत्तो वि० १ मायासंजलणखक्गमेत्तो । कोधसंज० अवि० विसेसा० । के. मेत्तो ? माणसंजलणखवगमेत्तो । पुरिस० अविह० विसेसा० । के० मेत्तो ? कोधसंजल० खवगमेत्तो। छण्णोक० अविह० विसेसा० । के० मेत्तो ? पुरिस० वकबंधक्खवगमेत्तो। इस्थिवेद० अविह. विसे० । के. मेत्तो ? छण्णोकसायखवगमेत्तो। णQस० अविह० विसे० । के० मेत्तो ? इत्थि०खवगमत्तो । अटकसायाणं अविह० विसेसा० । के० मेतो ? तेरसविहत्तियमेत्तो । मिच्छत्तस्स अविह. विसेसा। के. मेत्तो ? तेवीस-बावीस-इगवीसविहत्तियमेत्तो। अणंताणु० चउक्क० अविह० विसेसा । के. मेत्तो ? चउवीसविहत्तियमेत्तो । तेसिं चेव विहत्तिया अणंतगुणा । को गुणगारो ? अणंताणुबंधि० अविहत्तियविरहिदसव्वजीवरासिम्हि अणंताणुबंधि० अविहत्तिएहि
है उतना विशेषका प्रमाण है। मानसंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीवोंसे क्रोधसंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं । विशेषका प्रमाण कितना है ? मानसंज्वलनकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना विशेषका प्रमाण है। क्रोधसंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीवोंसे पुरुषवेदकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? क्रोधसंज्वलनकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना विशेषका प्रमाण है। पुरुषवेदकी अविभक्तिवाले जीवोंसे छह नोकषायोंकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक है। विशेषका प्रमाण कितना है ? पुरुषवेदके नवकबन्धकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना विशेषका प्रमाण है। छह नोकषायोंकी अविभक्तिवाले जीवोंसे स्त्रीवेदकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं ? विशेषका प्रमाण कितना है ? यह नोकषायोंकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । स्त्रीवेदकी अविभक्तिवाले जीवोंसे नपुंसकवेदकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? स्त्रीवेदकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है। नपुंसकवेदकी अविभक्तिवाले जीवोंसे आठ कषायोंकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? तेरह प्रकृतियोंकी अविभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है। आठ कषायोंकी अविभक्तिवाले जीवोंसे मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? तेईस, बाईस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है। मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले जीवोंसे अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? चौबीस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है। अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाले जीवोंसे अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले जीव अनन्तगुणे हैं । गुणकारका प्रमाण कितना है ? अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवालोंसे रहित सर्व जीव राशिमें अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाली जीवराशिका भाग देनेपर जो लब्ध
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