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गा० २२)
पयडिट्ठाणविहत्तीए अप्पाबहुप्राणुगमो
एकवीसविहत्तिया णत्थि। पंचिंदियतिरिक्ख-मणुस्सअपजत्तएसु णत्थि कालअप्पाबहुअं। कुदो ? अट्ठावीस-सत्तावीस-छव्वीसवि० उक्कस्सकालाणं तत्थ सरिसत्तवलंभादो। अथवा पंचिंदियतिरिक्ख-मणुस्सअपजत्तएसु सम्वत्थोवो छव्वीस-सत्तावीसअष्ठावीसवि० जहण्णकालो। उक्कस्सओ असंखेजगुणो ।
१३८८. मणुस्सेसु पंचविहत्तिय-कालप्पहुडि जाव तेवीसविहत्तियकालो त्ति ताव मूलोघभंगो। तदो सत्तावीसविह० कालो असंखजगुणो। चउवीसविह० कालो असंखेजगुणो । एक्कवीसविहत्तियकालो विसेसाहिओ पुव्वकोडितिभागेण सादिरेएण । छव्वीस-अष्टावीसविह० कालो विसेसाहिओ पुवकोडिपुधत्तेण । एवं मणुसपजचाणं । मणुसिणीसु लोभसुहुमकिट्टीवेदय-कालप्पहुडि जाव तेवीसविहत्तियकालो ति ताव मूलोघभंगो । तदो तेवीस-विहत्तियकालस्सुवरि एक्कवीसविहत्तियकालो संखजगुणो, सत्तावीसविह० कालो असंखेजगुणा, चउवीसविहत्तियकालो असंखेजगुणो, छब्बीसअहावीसविह. कालो विसे० । बाईस और इक्कीस विभक्तिस्थान नहीं पाये जाते हैं। पंचेन्द्रिय तियंच लब्ध्यपर्याप्त और मनुष्य लब्ध्यपर्याप्त जीवोंमें कालविषयक अल्पबहुत्व नहीं पाया जाता है, क्योंकि इन जीवोंके अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानोंका उत्कृष्टकाल समान पाया जाता है। अथवा पंचेन्द्रिय तिथंच लब्ध्यपर्याप्त और मनुष्य लब्ध्यपर्याप्तकों में छब्बीस, सत्ताईस और अट्ठाईस विभक्तिस्थानोंका जघन्यकाल सबसे थोड़ा है और उत्कृष्टकाल असंख्यातगुणा है।
३८८. मनुष्योंमें पाँच विभक्तिस्थानके कालसे लेकर तेईस विभक्तिस्थानके काल तकके स्थानोंका कालविषयक अल्पबहुत्व मूलोधके समान है। तदनन्तर तेईस विभक्तिस्थानके कालसे सत्ताईस विभक्तिस्थानका काल असंख्यातगुणा है। इससे चौबीस विभक्तिस्थानका काल असंख्यातगुणा है । इससे इक्कीस विभक्तिस्थानका काल विशेष अधिक है। यहां विशेष अधिकका प्रमाण साधिक पूर्वकोटिका त्रिभाग है। इक्कीस विभक्तिस्थानके कालसे छब्बीस और अट्ठाईस विभक्तिस्थानका काल विशेष अधिक है। यहां विशेष अधिकका प्रमाण पूर्वकोटिपृथक्त्व है । इसीप्रकार मनुष्य पर्याप्तकोंके कथन करना चाहिये । स्त्रीवेदी मनुष्यों में लोभकी सूक्ष्मकृष्टिके वेदककालसे लेकर तेईस विभक्तिस्थान तक काल विषयक अल्पबहुत्व मूलोधके समान जानना चाहिये । तदनन्तर तेईस विभक्तिस्थानके कालसे इकीस विभक्तिस्थानका काल संख्यातगुणा है। इससे सत्ताईस विभक्तिस्थानका काल असंख्यातगुना है। इससे चौबीस विभक्तिस्थानका काल असंख्यातगुणा है । इससे छब्बीस और अट्ठाईस विभक्तिस्थानका काल विशेष अधिक है।
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