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गा० २२ ]
भुजगारविहतीए फोसयागमो
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के० खेत फोसिदं ? लोग० असंखे ० भागो अह चोहसभागा वा देखणा, सव्वलोगो वा । एवं पंचमण० - पंचवचि० इत्थि पुरिस० चक्खु०-सण्णि० वत्तव्यं । वेउध्विय० भुज० अप्प० अवद्वि० के० खेतं फोसिदं १ लोगस्स असंखे ० भागो, अह-तेरह चोदस-भागा वा देखणा । णवरि भुज० तेरस० णत्थि । कम्मइय० अप्प० के० खेतं फोसिद ? लोग० असंखे० भागो, सव्वलोगो वा । अवद्विद० के० खेतं फोसिद ? सम्बलोगो । मदि - अण्णाण - सुद- अण्णाण ० अप्प० ओवमंगो, अबट्टि० ओवं । एवं मिच्छदिट्ठी० । विहंग० अप्प० अवधि ० के खेतं फोसिदं ? लोगस्स असंखे • भागो, अ-चोद सभागा वा देखणा सव्वलोगो वा । आभिणि० सुद० ओहि० अप्प० अवधि ० के ० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो । अट्ठ- चोदस० देखणा । एवrain अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग, त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । इसीप्रकार पांचों मनोयोगी, पांचों वचनयोगी, स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, चक्षुदर्शनी और संज्ञी जीवोंमें भुजगार आदि विभक्तिस्थानबाले जीवों का स्पर्श कहना चाहिये ।
वैऋियिक काययोगी जीवोंमें भुजगार, अल्पतर और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले trait कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और कुछ कम तेरह भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । इतनी विशेषता है कि वैक्रियिककाययोगियों में भुजगार विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श
मनाली के तेरह भाग प्रमाण नहीं पाया जाता है । कार्मणकाययोगियोंमें अल्पतर विभक्ति स्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। तथा अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है ।
मति - अज्ञानी और श्रुताज्ञानी जीवों में अस्पतर विभक्तिस्थानवाले जीवों का स्पर्श ओघके समान है । तथा अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवों का भी स्पर्श ओघके समान है । इसीप्रकार मिध्यादृष्टियों में अल्पतर और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श कहना चाहिये । विभङ्गज्ञानियोंमें अल्पतर और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ! लोकके असंख्यातवें भाग, त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और सर्वलोक प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवों में अल्पतर और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। इसीप्रकार अवधिदर्शनी, सम्यग्दृष्टि, वेदकसम्यग्दृष्टि
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