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गा० २२]
वड्ढविहत्तीए भंगविचयाणुगमो
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चेव भंगा ६ । पंचिंदियतिरिक्खअपज० अवटा० णियमा अत्थि । संखेजभागहाणी भयणिज्जा । भंगा तिण्णि ३ । एवमणुद्दिसादि जाव सव्वष्ट-सव्वएइंदियसव्वविगलिंदिय-पंचिं०अपज-सभेद पंचकाय-तस अपज-ओरालियमिस्स ०-कम्मइय मदि-सुद-अण्णा०-विहंग०- परिहार०-संजदासजद०- वेदय०-मिच्छादि०-असण्णिअणाहारि त्ति वत्तव्यं ।
६५०६. मणुसअपज० अवष्ट्रि० संखेजभागहाणीबिहत्तीए अभंगा वत्तव्वा । तं जहा, सिया अवाहिदविहत्तीओ। सिया अवहिदविहत्तिया । सिया संखेजभागहाणिविहत्तिओ। सिया संखेजभागहाणिविहत्तिया। सिया अवष्टिदविहत्तिओ च संखे'जभागहाणिविहत्तिओ च । सिया अवष्ठिदविहत्तिओ च संखेजभागहाणिविहत्तिया च । सिया अवहिदविहत्तिया च संखे० भागहाणिविहत्तिओ च । सिया अवविदविहत्तिया च संखे० भागहाणि विहत्तिया च । एवमह भंगा ८ । एवं वेउब्धियमिस्स० । आहार० इनमें अवस्थान पदके एक ध्रुव भंगके मिला देनेपर कुल भंग नौ होंगे।
पंचेन्द्रिय तियंच लब्ध्यपर्याप्तकोंमें अवस्थान पदवाले जीव नियमसे हैं। तथा संख्यातभाग हानि भजनीय है। अतः यहां कुल भंग तीन होते हैं । इसीप्रकार अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तकके देव, सभी एकेन्द्रिय, सभी विकलेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्त, सभी पांचों स्थावरकाय, त्रसलब्ध्यपर्याप्त, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगज्ञानी, परिहारविशुद्धिसंयत, संयतासंयत, वेदकसम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि, असंज्ञी और अनाहारक जीवोंके कहना चाहिये ।
विशेषार्थ-इन उपर्युक्त मार्गणाओंमें संख्यातभागहानि और अवस्थान ये दो ही पद 'पाये जाते हैं। उनमें से अवस्थान पद ध्रुव है और संख्यातभागहानि अध्रुव पद है। अत: संख्यातभागहानिके एक जीव और नाना जीवोंकी अपेक्षा दो भंग और ध्रुवपदकी अपेक्षा एक भंग ये तीन भंग उक्त मार्गणास्थानों में पाये जाते हैं।
६५०६. लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्यों में अवस्थित और संख्यातभागहानि विभक्तिकी अपेक्षा आठ भंग कहना चाहिये । वे इसप्रकार हैं-कदाचित् अवस्थितविभक्तिस्थानवाला एक जीव है। कदाचित् अवस्थित विभक्तिस्थानवाले अनेक जीव हैं। कदाचित् संख्यात भागहानि विभक्तिस्थानवाला एक जीव है। कदाचित् संख्यातभागहानि विभक्तिस्थानवाले अनेक जीव हैं। कदाचित् अवस्थितविभक्तिस्थानवाला एक जीव और संख्यातभागहानिविभक्तिस्थानवाला एक जीव है। कदाचित् अवस्थितविभक्तिस्थानवाला एक जीव और संख्यातभागहानिविभक्तिस्थानवाले अनेक जीव हैं। कदाचित् अवस्थितविभक्तिस्थानवाले अनेक जीव और संख्यातभागहानि विभक्तिस्थानवाला एक जीव है। कदाचित् अवस्थित विभक्तिस्थानवाले अनेक जीव और संख्यातभागहानिविभक्तिस्थानवाले अनेक जीव हैं।
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